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महिलाओं को जीवन में इन 4 मौको पर देनी पड़ती हैं अग्नि परीक्षा, फ़ैल होने पर मिलते हैं ये ताने

हमारा समाज और उसकी सोच कुछ ऐसी हैं कि यहाँ एक महिला के लिए शांति से जीना आसान नहीं होता हैं. उसे पल पल पर भेदभाव का सामना करना पड़ता हैं. महिलाएं बचपन से लेकर बुढ़ापे तक बहुत कुछ सहती हैं. जब भी परफेक्ट बनने का प्रेशर हमेशा महिलाओं पर ही थोपा जाता हैं. पुरुषों के लिए ‘चलता हैं’ शब्द ज्यादा उपयोग होता होता हैं. वहीं महिलाएं थोड़ी सी भी इधर उधर हो जाए तो ढेर सारे ताने सुनने को मिलते हैं. एक तरह से महिलाओं को जीवन के पढ़ाव में कई बार अग्नि परीक्षाएं भी देनी पड़ती हैं. लोग इन्हें जज करते हैं और इनकी ख़ुशी में आग तक लगा देते हैं. ऐसे में आज हम आपको महिलाओं को जीवन में कहाँ कहाँ सबसे ज्यादा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती हैं इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

आज्ञाकारी बेटी बनना

लड़कों की तुलना में लड़कियों के ऊपर एक आज्ञाकारी संतान बनने का प्रेशर अधिक रहता हैं. घर में बेटों की बजाए बेटियों पर अधिक पाबंदियां लगाई जाती हैं. जो आजादी घर के बेटों को मिलती हैं वही बेटियों को मिलने के चांस बहुत कम होते हैं. दुःख की बात है कि आज भी कई माता पिता ऐसे हैं जो बेटे और बेटी की परवरिश में भेदभाव करते हैं. ऐसे में एक लड़की को आज्ञाकारी बेटी बनने पर मजबूर होना पड़ता हैं. यदि वो ऐसा ना करे तो लड़की हाथ से निकल गई हैं, माता पिता का नाम डुबाएगी जैसे ताने भी सुनने को मिलते हैं.

आदर्श पत्नी बनना

शादी के बाद हर महिला के ऊपर अपने ससुराल में एक आदर्श बीवी बनने का प्रेशर रहता हैं. महिला ब्याह रचा के एक नए घर में नए लोगो के बीच जाती हैं. यहाँ उसकी पल पल पर अग्नि परीक्षा होती हैं. ससुराल वाले उसके हर काम के ऊपर जज करने लगते हैं. यदि वो एक आदर्श पत्नी या बहू बनने में असफल रहती हैं तो तानों की बारिश हो जाती हैं. यही सिखाया तेरे घर वालो ने, पता नहीं किस लड़की को घर की बहू बना लिया, इसे तो मैं तलाक दे दूंगा इत्यादि ताने महिलाओं को सुनने को मिलते हैं.

अच्छी माँ बनना

एक महिला के लिए अच्छी माँ बनना भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होता हैं. बच्चे की पहली गुरु उसकी माँ ही होती है. ऐसे में ये उसी की जिम्मेदारी होती हैं कि वो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे और सही मार्ग दर्शन करे. बच्चा बिगड़ जाए तो भी माँ को ताने सुनने पड़ते हैं. तूने अपने बच्चे को कुछ नहीं सिखाया, कैसा नालायक हैं, लाड़ प्यार में बिगाड़ दिया हैं वगैरह वगैरह.

प्यारी सास बनना

एक अच्छी बहू बनने के बाद बढ़िया सास बनने की परीक्षा भी देनी पड़ती हैं. आपको विलेन वाली सास नहीं बनना हैं. घर की बहू को बेटी की तरह रखना हैं. इसके साथ ही पुरे घर को साथ में लेकर चलना हैं. यदि आप इसमें सफल नहीं होती तो कमीनी सास, खडूस सास, बेकार बुढ़िया इत्यादि ताने सुनने को मिल जाते हैं.

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि महिलाओं की लाइफ पुरुषों की तुलना में ज्यादा मुश्किलों से भरी होती हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर दे.

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