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चाणक्य के अनुसार इन तीन चीजों से संतुष्ट ना होने पर जीवन हो जाता है बर्बाद

गुरु चाणक्य ने ऐसी तीन चीजों के बारे में बताया है। जिनसे इंसान को सदा संतुष्ट रहना चाहिए। इन तीन चीजों के प्रति संतुष्टी दिखाने से इंसान का जीवन शांति के साथ गुजर जाता है। चाणक्य ने इन तीन चीजों के बारे में एक दोहे के जरिए बताया है और ये दोहा इस प्रकार है।

तीन ठौर संतोष कर, तिय भोजन धन माहिं।
दानन में अध्ययन में, जप में कीजै नाहिं।।

इन तीन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए –

अपनी पत्नी

हर इंसान को अपने पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए और अन्य स्त्रियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जो आदमी दूसरी स्त्रियों पर नजर रखता है और अपने पत्नी पर ध्यान नहीं देता है। उस व्यक्ति का घर और जीवन बर्बाद हो जाता है। इतना ही नहीं पति और पत्नी के रिश्ते के बीच दरार आ जाती है और उनका रिश्ता टूट जाता है। एक सुखी जीवन पाने हेतु इंसान को अपनी पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए।

भोजन

कोई भी इंसान भोजन के बिना जीवत नहीं रहे सकता है और गुरु चाणक्य के अनुसार हमें घर में जो भोजन मिले, हमको उससे संतुष्ट रहना चाहिए। घर के भोजन की जगह बार-बार बाहर का खाना खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है और सेहत खराब हो जाती है। इसलिए इंसान को केवल अपने घर का ही भोजन करना चाहिए और घर के खाने से हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए।

धन

इंसान को धन का लालच नहीं होना चाहिए और उसके पास जितना धन हो, उसे उसमें ही संतुष्ट रहना चाहिए। कई बार हम लोग अन्य लोगों के पास हमसे अधिक धन होने पर असंतुष्ट हो जाते हैं। जिसकी वजह से हमारे मन में लालच आ जाता है और इस लालच के कारण अधिक धन कमाने के लिए हम गलत राह पर भी चल पड़ते हैं। इसलिए व्यक्ति की जितनी आय हो, उसे उसमें ही संतोष रहना चाहिए।

इन तीन चीजों के लिए सदा ही असंतुष्ट रहना चाहिए

गुरु चाणक्य ने ऐसी तीन चीजों का भी जिक्र किया है। जिनको लेकर मन में सदा असंतुष्ट रखनी चाहिए।

दान

इंसान जितना हो सके उतना दान करें। दान करने से हमें पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ में ही हम दूसरे लोगों की मदद भी कर देते हें। इसलिए आप कभी भी दान करते समय संतुष्ट नहीं हों और जितना हो सके उतना दान किया करे।

जाप

भगवान के नाम का जाप करने से जीवन की सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं और भगवान की कृपा मिल जाती है। इंसान जितना हो सके उतना भगवान का नाम लें। मंत्रों का जाप और भगवान को जितना ज्यादा याद किया जाता है जीवन उतना ही सफल साबित होता है।

ज्ञान हासिल करना

जितना अधिक हो सके उतना ज्ञान हासिल करें। ज्ञान एक ऐसी चीज है जिसके प्रति कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए और अपने ज्ञान को सदा बढ़ाते ही रहना चाहिए। इंसान जितना अधिक ज्ञानी होता है। उसका जीवन उतना ही उज्जवल माना जाता है। इसलिए ज्ञान हासिल करने के प्राप्ति संतुष्ट ना हों और जहां- जहां से ज्ञान मिले वहां से हासिल कर लें।

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