अध्यात्म

ज्वालादेवी: इस जगह पर गिरी थी मां सती की जिह्वा, सदियों से जल रही है बिना तेल-बाती के ज्योत

हिमाचल प्रदेश राज्य में ज्वाला देवी का मंदिर स्थित है और ये मंदिर मां ज्वाला को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में बिना तेल और बाती के ज्योत जलती रहती है और ये ज्योत ऐसे ही कई वर्षों से जल रही है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर मां सती की जिह्वा गिरी थी और ये मंदिर  51 शक्तिपीठों में से एक है।

नवरात्रि के दौरान होती है विशेष पूजा

नवरात्रि के पर्व के दौरान इस मंदिर में मां ज्वाला के दर्शन करने के लिए कई राज्यों से लोग आते हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में रोजाना कम से कम 50 हजार भक्त आते हैं। इतना ही नही नवरात्रि के वक्त इस मंदिर में विशेष पूजा भी की जाती है।

मंदिर में प्रज्ज्वलित हैं नौं ज्वाला जी

ज्वाला देवी मंदिर में कुल नौ ज्वालाओं जलती है और जो प्रमुख ज्वाला है वो चांदी के दीये के बीच स्थित हैं। इस ज्वाला को महाकाली के नाम से जाना जाता है। जबकि अन्य आठ ज्वालाओं के नाम मां अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्त इन सभी नौ ज्वाला के दर्शन जरूर करते हैं।

5 बार होती है आरती

ज्वाला देवी मंदिर में रोजाना पांच बार आरती होती है। पहली आरती सुबह पांच बजे होती है और इस आरती के दौरान मां को मालपुआ, खोआ और मिस्री प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। दूसरी आरती सुबह सात बजे होती है और इस आरती के दौरान पीले चावल और दही का भोग मां को लगाया जाता है। इसके बाद तीसरी आरती दोपहर में होती है और इस आरती के दौरान मां को चावल, छह दालों और मीठी चीज का भोग लगाया जाता है। चौथी आरती शाम को होती है और इस आरती में पूरी-चना और हल्वे का भोग मां को लगता है। अतिंम आरती को शयन आरती कहा जाता है और ये आरती रात नौ बजे होती है। इस आरती के दौरान सौंदर्यलहरी का गान गया जाता है और मां का सोलह शृंगार किया जाता है। ये आरती होने के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

काफी पुराना है ये मंदिर

ज्वाला मां का ये मंदिर बेहद ही पुराना है और ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 180 साल पहले हुआ था। इस मंदिर को महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 द्वारा बनाया गया खा।

नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है और ये मेला नवरात्रि के नौ दिनों तक चलता है। इसलिए आप नवरात्रि के पर्व के दौरान इस मंदिर में जरूर जाएं। ये मंदिर काफी भव्य और सुंदर हैं।

कैसे जाएं

ये मंदिर सड़क, वायु और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा कई सारी बसें कई शहरों से कागड़ा के लिए जाया करती है। इसलिए आप चाहें तो बस से भी इस मंदिर जा सकते हैं। वहीं इस मंदिर के आस पास कई सारे होटल भी बनाए गए हैं और आपको यहां रुकने के लिए आसानी से जगह मिल जाएगी।

Back to top button