विशेष

लड़के पर फिदा था अलाउद्दीन खिलजी! दम है तो इसपर फिल्म बनाकर दिखाओं भंसाली!

मुम्बई – बॉलीवुड निर्देशक संजय लीला भंसाली को रानी पद्मावती पर फिल्म बनाने के कारण करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया। करणी सेना का आरोप है कि भंसाली अपनी फिल्म में रानी पद्ममिनी (पद्मावती) के जीवन से जुड़े तथ्यों को  तोड़-मड़ोरकर पेश करने वाले हैं। इस विवाद के बाद से खिलजी वंश का ये शासक सुर्खियों में है। दिल्ली सल्तनत के दूसरे शासक खिलजी ने 1296 से 1316 तक दिल्ली पर राज किया। इतिहास खिलजी को जैसे भी याद करे लेकिन साहित्य में खिलजी एक खलनायक है जो राजपूत रानी पद्मिनी को पाने के लिए क्रूरता की सभी सीमाएं पार कर गया। लेकिन अल्लाउद्दीन खिलजी का एक इतिहास ऐसा है जिसे दिखाने की हिम्मत शायद ही किसी बॉलिवुड के निर्देशक में हो चाहे वो भंसाली हो या कोई और। Allauddin khilji love with malik kafur.

लड़के पर फिदा था अलाउद्दीन खिलजी –

Allauddin khilji love with malik kafur

मलिक मोहम्मद जायसी के महाकाव्य पद्मावत (1540 ईसवी) केमुताबिक खिलजी से बचने के लिए पद्मावति कई हजार राजपूत रानियों के संग सती हो गई थी। क्योंकि जायसी का जन्म खिलजी की मृत्यु के करीब 180 साल बाद 1500 ईसवी के आसपास हुआ था। इसीलिए जायसी द्वारा बताई गयी पद्मावति की कहानी को बहुत से लोग मिथक मानते हैं। अल्लाउद्दीन खिलजी की एक सच्ची प्रेम कहानी ऐसी है जिसे लेकर इतिहासकारों में भी कोई शक नहीं है। ये कहानी है खिलजी के एक काले गुलाम मलिक काफूर से प्यार की।

Allauddin khilji love with malik kafur

आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं वो किसी कवि की कल्पना नहीं है। इसका जिक्र दिल्ली सल्तनत के प्रमुख विचारक और लेख जियाउद्दीन बरनी ने किया है। बरनी की चर्चित किताब “तारीख-ए-फिरोजशाही” में खिलजी और काफूर के नापाक इश्क का जिक्र है। खिलजी काफूर को देखकर मुग्ध हो गया था। काफूर केवल खिलजी का प्रेमी नहीं बल्कि एक बहादुर योद्धा भी था। काफूर से खिलजी को इतना प्यार था कि उसने उसे अपने शासन में दूसरा सबसे अहम ओहदा (मलिक नायब) दिया था। खिलजी के इस नापाक प्यार का नतीजा काफूर का प्यार में धोखा देना था। इतिहासकारों के अनुसार खिलजी की हत्या के पीछे काफूर की साजिश थी। लेकिन खिलजी की मौत के कुछ हफ्तों बाद ही काफूर की भी हत्या हो गयी।

एक फिल्म खिलजी और काफूर के प्यार पर भी  –

Allauddin khilji love with malik kafur

जिस तरह से भंसाली पद्ममिनी (पद्मावती) पर आसानी से फिल्म बना रहे हैं क्या कभी ऐसा संभव है कि भंसाली या कोई अन्य निर्देशक खिलजी और काफूर के प्यार पर भी फिल्म बनाने कि हिम्मत कर सकता है। इतिहासकारों ने लिखा है कि बादशाह का इश्क़ ऐसा था कि अपने मोहब्बत के निशानी के तौर पर वो हर वक़्त गले में ज़ुन्नार डाले घूमता था।

अगर खिलजी और काफूर के अंतरंग संबधों पर फिल्म बने तो उन दोनों का संवाद कितना रोमांचक होता होगा। इस दृष्टिकोण पर फिल्म बनाई जाए तो अभिनय और निर्देशन दोनों आयामों के लिए ये चैलेंजिंग रहेगा। लेकिन यह एक चुनौती है सिनेमा के लिए जो दर्शकों को सच्चाई दिखाने की हिम्मत दिखा सके।

Back to top button