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मंदिर में मुंडन के बाद दुनियाभर में ऐसे होता है बालों का व्यापार, जानकर नहीं होगा यकीन

साल 2012 में आई फिल्म ओह माय गॉड तो देखी ही होगी ? इसमें अक्षय कुमार और परेश रावल ने मुख्य भूमिका निभाई थी लेकिन परेशा रावल के किरदार को खूब पसंद किया गया था क्योंकि उन्होंने बहुत सी ऐसी चीजें बताई थीं जो आज के समय में सच्चाई है। भारत में कई धार्मिक मान्यताओं से पर्दे को उठाने वाली इस फिल्म मे बहुत सी ऐसी चीजों को बताया गया कि जो लोगों को पता होनी चाहिए। भारत के कई मंदिरों में होने वाले मुंडन की परंपरा दिखाई गई है। मंदिर में मुंडन के बाद दुनियाभर में ऐसे होता है बालों का व्यापार, दक्षिण भारत के कई मंदिरों में मुंडन की ये परंपरा सालों से चली आ रही है। मगर मुंडन के इन बालों का क्या होता है आप जानते हैं इस बारे में ?

मंदिर में मुंडन के बाद दुनियाभर में ऐसे होता है बालों का व्यापार

फिल्म ओह माय गॉड के एक सीन में परेश रावल कहते हैं कि धर्म के नाम पर मंदिर बालों का व्यापार चलाते हैं। परेश रावल की ये बात असल जिंदगी में भी सच है और मंदिरों में जब आप मुंडन कराते हैं तो आपके बालों को मंदिर की एक तरफ रख दिया जाता है जो विदेशों में ऊंचे दानों में बेचे जाते हैं। ऐसा आमतौर पर भारत में सिर्फ पुरुषों और बच्चों का ही मुंडन होता है लेकिन दक्षिण भारत में ऐसा महिलाएं भी करवाती हैं और उनका मुंडन धर्म के नाम पर करवाया जाता हैय़ दक्षिण भारत के फेमस मंदिर तिरूपति और तिरूमाला मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और अपने बालों का मुंडन करवाते है।दरअसल विदेशों में हेयर एक्सटेंशन ट्रीटमेंट बहुत फेमस है औऱ इसके जरिए महिलाएं अपने छोटे बालों को लंबा करवाती हैं। अब ये बात आपको जानकर हैरानी में डाल सकती है कि इस थैरेपी के लिए बड़ी संख्या में भारत से बाल निर्यात किए जाते हैं। एशिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर लोगों की हेयल क्वालिटी सबसे अच्छी होती है।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, तिरुमाला मंदिर ने 2011-12 में बाल की नीलामी लगभग 200 करोड़ में की थी और अब तक आप सोच सकते होंगे कि विग और हेयरएक्सटेंशन में लगने वाले बाल सैलून से आते होंगे लेकिन ये मामला पूरी तरह से सच नहीं है। इन बालों को भारत के कई मंदिरों से भी इकट्ठा किए जाते हैं और हेयर ड्रेसिंग से जुडे कारोबारियों को बेचे जाते हैं।

इन बालों का बेचने के बाद होता है ये काम

ज्यादातर बाल कोलकाता, चेन्नई और आंध्र प्रदेश से व्यापारियों तक पहुंचाया जाता है। ये जगहें विदेशी व्यापारियों का गढ़ माना जाता है और इन जगहों पर बालों के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। फैक्ट्री में सबसे पहले इन बालों को सुलझाया दाता है और फिर अच्छी तरह से कैमिल से धुलकर सुखाया जाता है। इसके बाद इन्हें डिमांड के मुताबिक कई श्रेणियों में बांट दिया जाता है। जो स्ट्रेट, कर्ली, नैचुरल वेव, बल्क हेयर, डीप वेव और वेवी होते हैं. इन बालों को लाल, काले, हल्के काले, सुनहरे, भूरे से लेकर कई रंगों में रंगा भी जाता है और भारतीय बालों का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है. ये बाल यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका से लेकर कनाडा तक निर्यात होते हैं और पुरुषों के बालों का इस्तेमाल विग, दाढ़ी और नकली मूछों के लिए किया जाता है।

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