बॉलीवुड

फिल्मों में आने से पहले जेल की हवा खा चूका हैं ये अभिनेता, पढ़े इनकी सक्सेस स्टोरी

पंकज त्रिपाठी, ये नाम वर्तमान में बॉलीवुड में काफी बड़ा होता जा रहा हैं. इनके अभिनय की जितनी तारीफें की जाए कम ही हैं. फिल्मों में जब भी ये कोई किरदार निभाते हैं तो उसमे जान फूंक देते हैं. पंकज एक फ़िल्मी बैकग्राउंड से नहीं आते हैं. इसलिए उन्हें ये सब थाली में परोसा हुआ नहीं मिला हैं. उन्होंने अपने मुकाम को हासिल करने के लिए काफी मेहनत की हैं. पंकज त्रिपाठी का जन्म बिहार के गोपालगंज के बेलसंड के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उस दौरान ये गाँव बहुत पिछड़ा हुआ था. बिजली वहां रहती नहीं थी. आलम ये था कि पंकज को 10वीं क्लास तक ये भी नहीं पता था कि फ़िल्में होती क्या हैं. बचपन में वे आरएसएस की शाखाओं का हिस्सा भी रह चुके हैं. उन्होंने अपने एक्टिंग के हुनर को तब पहचाना जब एक बार गाँव में हुए रंगमंच के कार्यक्रम में उन्होंने लड़की का रोल निभाया था. उनकी इस अदाकारी की गाँव वालो ने बहुत तारीफ़ की थी. बस तभी पंकज ने मन बना लिया था कि अब उन्हें फिल्मों में अपनी किस्मत आजमानी हैं.

उनके पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए पंकज को पटना भेजा था. यहाँ उन्होंने थिएटर ज्वाइन कर लिया था. चार साल तक थिएटर करने के बाद उन्होंने 2001 में नेशनल स्कूल इफ ड्रामा में एडमिशन लेकर एक्टिंग का कोर्स किया. इसके बाद 2004 में वे मुंबई काम की तलाश में आ गए. यहाँ शुरुआत में उन्होंने टीवी में छोटे मोटे रोल निभाए और कुछ विज्ञापन भी किये. धीरे धीरे उनका अभिनय नोटिस किया जाने लगा और उन्होंने सुल्तान, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर सहित कई फिल्मों में अपने अभिनय से लोगो का दिल जित लिया.

खा चुके हैं जेल की हवा

हाल ही में पंकज ने फिल्म क्रिटिक राजिव मसंद को एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने अपने जीवन से संबंधित कुछ रोचक तथ्य भी बताए. उन्होंने कहा कि पटना में जब वे कॉलेज में थे तो स्टूडेंट पॉलिटिक्स में ज्यादा शामिल रहते थे. इस दौरान वे कई आंदोलन भी करते रहते थे. इसी एक आंदोलन की वजह से उन्हें पटना के बेऊर जेल में 7 दिनों के लिए रहना पड़ गया था.

अपने जेल के अनुभव को शेयर करते हुए पंकज बताते हैं कि वहां वैसे तो सब कुछ ठीक होता हैं बस आप बाहर नहीं जा सकते हैं. जेल में आपको खाना वगैरह तो मिल जाता हैं. लेकिन बाकी समय बिताना थोड़ा मुश्किल होता हैं. ऐसे में वहीं से मुझे किताबें पढ़ने का शौक भी लगा था. मैं जिस जेल में था उसके पीछे एक रेलवे ट्रैक था. ऐसे में जब भी ट्रेन गुजरती थी मैं यही सोचा करता था कि ये हरी ट्रेन होगी या लाल होगी. राजधानी होगी या पैसेंजर. उस दौरान मुझे एहसास हुआ कि जेल क्या होती है.

बताते चले कि पंकज इन दिनों बहुत से लोगो के फेवरेट अभिनेता बने हुए हैं. इसकी वजह साफ़ हैं कि उनका अभिनय बहुत ही अलग और दिल को छू लेने वाला होता हैं. इसके साथ ही वे अपनी पर्सनल लाइफ में भी काफी सिम्पल और सुलझे हुए व्यक्ति हैं.

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