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कभी करता था वेटर का काम आज बन चुका है IAS अधिकारी, सफलता की कहानी आपको कर देगी भावुक

लोग कहते है की मेहनत करने से क्या नहीं मिल सकता, इस बात को हकीकत साबित कर दिखाया हे एक वेटर ने जिसने अपने लगन ओर मेहनत से IAS जैसी सम्मानित पद को हाशिल कर लिया। ये कहानी है एक कैंटीन वेटर की जिनका नाम के जयागणेश हैं, जिन्होंने UPSSC जैसे परीक्षा को पास किया ओर ये उनकी मेहनत ही हे की उन्होंने ये मुकाम हाशिल किया जिसे पाने के लिए आज का लाखो युवा मेहनत करता है, लेकिन निराशा हाथ लगती हैं। आपको बता दे की के. जयागणेश एक दो बार नहीं कुल छह बार UPSSC का परीक्षा दिए लेकिन उनको हर बार निराशा ही हाथ लगी, ये उनकी मेहनत ओर लगन ही हे की सातवीं बार उन्होंने परीक्षा दिया ओर उन्हें सफलतापूर्वक 156वा रैंक हासिल हुआ। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की इस सफलता को पाने के लिए उन्होंने वेटर का भी काम किया।

आइये जानते है की जयागणेश की कहानी

जयागणेश तमिलनाडु के एक गरीब परिवार से ताल्लुख रखते है, उनके पिता एक लेदर फैक्ट्री मे काम करते हे और यहाँ पर उनकी जी तोड़ मेहनत की कमाई से महीना भर का वेतन 4500 रुपये हैं। इसके अलावा जयागणेश अपने घर में अकेले नहीं थे, उनके चार भाई बहन और भी थे। जयागणेश शुरू से ही पढ़ाई मे अव्वल रहे हैं उन्होंने 12वी की परीक्षा मे 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे। घर मे भाई बहन से बड़े होने के कारण घर परिवार के खर्चे की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर आ गयी थी मगर इसकी वजह से उन्होने कभी भी अपने सपने को टूटने नहीं दिया ना ही खुद कभी टूटे।

घर परिवार की ज़िम्मेदारी संभालते हुए आगे इन्होने तांथी पेरियार इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन कम्पलीट की और स्नातक की पढ़ाई पूरी होए ही उन्हें 25,000 रुपये की नौकरी भी मिल गयी थी। हालांकि ये अलग बात थी की शुरू से ही उनको नौकरी मे उतनी रूचि नहीं थी और वे इस बात को भी बखूबी समझ चुके थे इतने से रूपये मे उनका ओर उनके घर वालो का खर्च नहीं चल सकताआ और उनका गाँव भी बहुत गरीब था और जिस वजह से वो कई बार अपने गाँव के विकास के बारे में भी सोचते रहते थे। उन्हें लगा की गाँव के विकास के लिए उन्हें सिविल सेर्विसेज ज्वाइन करनी होंगी, इसके लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी ओर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दिए।

इस तरह बने IAS अधिकारी

वे एक दो बार परीक्षा मे सफलता ना मिलने के कारण जयागणेश तैयारी के लिए चेन्नई आ गए तैयारी, यहां उन्होंने अपना खर्चा निकलने के लिए एक सिनेमा हाल मे एक वेटर की नौकरी पकड़ ली। वे दिन भर नौकरी करते ओर रात को पढ़ाई करते, इसी बीच इन्हे बहुत बड़े असमंजस का सामना करना पड़ा, इन्होने इसी बीच इंटेलिजेंस बयूरो का परीक्षा दी ओर उसमे सफल हो गए अब उनके पास दो रास्ते थे या वो नौकरी ज्वाइन करते या फिर UPSSC का सातवी बार परीक्षा देते, लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ इनकी लगन ओर आत्मविश्वास ही था की उन्होंने IAS परीक्षा को चुना ओर उसमे उन्हें सफलता फलस्वरूप 156वी रैंक मिली।

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