अध्यात्म

इस मंदिर में है करोड़ों का खज़ाना, सरकार भी नहीं लगा सकती हाथ, खुद नागदेवता करते हैं मंदिर की रक्षा

भारत का इतिहास काफी प्राचीन रहा है. यहाँ हजारों इमारतें ऐसी हैं, जो अपने आप में लाखों राज समोय हुए हैं. इनमे से कुछ जगहें अगर भुतियाँ हैं तो वहीँ कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहाँ सदियों से कोई रहस्य छिपा हुआ है. आज हम आपको ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. यह जगह कोई और नहीं बल्कि एक धार्मिक स्थल अर्थात एक मंदिर है. इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें मौजूद झील में पिछले कईं सालों से करोड़ों रुपए का खजाना छिपा हुआ है. यहाँ तक कि बहुत से विशेषज्ञ भी इस खजाने की पुष्टि कर चुके हैं. लेकिन इन सब के बावजूद भी उस खजाने को मंदिर से निकालने में आज तक कोई कामयाब नहीं हो पाया है.

कहा जाता है कि मंदिर की झील में छिपे खजाने की रक्षा स्वयं नाग देवता करते आए हैं इसलिए वहां की सरकार भी आज तक उस खजाने को हथिया नहीं पाई है. यह जगह कोई और नहीं बल्कि “कमरुनाग मंदिर” है. इस झील में खजाना साफ़ तौर पर देखा जा सकता है लेकिन आज तक इस खजाने को छूने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया है. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी से लगभग 68 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद रोहांडा में स्तिथ है. इस मंदिर को लेकर कईं तरह की धारणाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मंदिर आकर पूजा करता है और मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत जल्दी ही पूरी हो जाती है लेकिन बदले में उसे अपना कोई कीमती अभूष्ण झील में अर्पित करना पड़ता है.

कमरुनाग मंदिर की यह परंपरा पिछले हजारों वर्षों से चली आ रही है. लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए यहाँ दूर दूर से आते हैं और मन्नत पूरी होते ही वह अपने जेवरात को झील में अर्पित करते हैं. हजारों साल पुरातन होने के कारण इस मंदिर में अभी अरबों खरबों का खजाना मौजूद है. लेकिन सरकार भी इस खजाने को इस्तेमाल नहीं कर सकती. दूसरी और मंदिर की एक और खासियटी यह है कि मंदिर का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है. कथाओं के अनुसार महाभारत काल के दौरान बर्बरीक जब युद्ध में लड़ने के लिए आए तो भगवान श्रीकृष्ण पहले से जानते थे कि वह कमजोर पक्ष की तरफ से लड़ेंगे इसलिए यदि वहह कौरवों की तरफ से लड़ते तो युद्ध का पूरा परिणाम बदल सकता था.

 

 

इसलिए कृष्ण जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और बर्बरीक का सिर भेंट के तौर पर माँगा. तब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का सिर युद्ध देखने के लिए वहां मौजूद ऊंची पहाड़ी पर रख दिया था. यह वही स्थान है जहाँ आज कमरुनाग मंदिर मौजूद है. इस पहाड़ के आस पास और झील के चरों और छोटे-बड़े पौधे लगे हुए हैं. लोगों के अनुसार दिन ढलते ही यहाँ नाग आते हैं. इसलिए जो भी अँधेरे का फायदा उठा कर खजाने को हाथ लगाने की कोशिश करता है, उसे इच्छाधारी नागों का सामना करना पड़ता है.  इच्छाधारी नाग इस खजाने और मंदिर की रक्षा सदियों से करते आए हैं शायद यही वजह है जो सरकार भी इस खजाने से दूर रहती है.

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