अध्यात्म

महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताई थी महिलाओं से जुड़ी अहम बातें

आज के समय में महिलाओं को अपने आत्मसम्मान और अधिकार के लिए खुद ही लड़ना पड़ता है. बहुत ही कम लोग हैं जो महिलाओं के हक में बात करते हैं वरना कोई इन्हें सामान समझता है तो कोई इन्हें सिर्फ घर में काम करने की मशीन. महिलाओं का अपना कोई अस्तित्व हो ये बहुत ही कम देखने को मिलता है. भारत में देश में जहां एक ओर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहीम को चलाई जा रही है वहीं दूसरी ओर कम उम्र की लड़कियों की इज्जत को तार भी किया जा रहा है. कुल मिलाकर महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय है. मगर इतिहास गवाह रहा है कि जब भी इस दुनिया में महिलाओं का अपमान हुआ है तो सर्वनाश ही हुआ है फिर आप इसके उदाहरण के लिए रामायण लीजिए या फिर महाभारत में द्रोपदी का किस्सा ही सुन लीजिए. जिसमें भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताई थी महिलाओं से जुड़ी अहम बातें, उन बातों का पालन करने वाला ही सांसारिक और आर्थिक सुख भोग रहा है.

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताई थी महिलाओं से जुड़ी अहम बातें

महाभारत में हुए युद्ध का कारण तो सभी जानते हैं जब कौरवों और पांडवों के बीच घनघोर युद्ध हुआ था. भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था और उनके खुद के पति कुछ नहीं कर सकते थे. फिर ये युद्ध द्रोपदी के साथ हुए अत्याचार के कारण ही शुरु हुआ. इस युद्ध में अर्जुन के तीरों से घायल भीष्म पितामह जब तीरों की शैय्या पर लेटे अपनी मौत की प्रतिक्षा कर रहे थे तो उस समय अपने सारे अच्छे बुरे कर्मों को याद कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने सोचा कि उन्होंने बहुत कुछ गलत किया है इसलिए उन्होंने युधिष्ठिर को अपने पास बुलाकर अपने जीवन से हुए अनुभव के बारे में कुछ बातें और कुछ ज्ञान उन्हें देने लगे. उन्होंने युधिष्ठिर को बताया कि पुरुषों को हर महिलाओं का सम्मान करना बहुत जरूरी है. परिवार में रहने वाली महिलाएं और बाहर रहने वाली महिलाओं का सम्मान करना एक अच्छे और सच्चे पुरुष की जिम्मेदारी होती है और उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए.

भीष्म पितामह ने बताया कि जिस घर में महिलाओं का सम्मान किया जाता है और उन्हें प्रसन्न रखा जाता है तो उस घर में लक्ष्मी और खुशहाली का वास होता है. जिस घर में महिलाओं का अपमान किया जाता है तो उस घर में भगवान और देवता जाकर भी वापस चले आते हैं. उस घर में दुख, कटुवचन और विवाद की स्थिति बनी रहती है. महिलाएं ईश्वर का बनाया बहुत ही खास और नाजुक नजराना है जिसका ख्याल रखने के लिए पुरुष को बनाया गया है और उनकी रक्षा करना हर पुरुष का कर्तव्य होता है.

हर इंसान को बहू-बेटी का करना चाहिए सम्मान

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को आगे बताया कि जिस परिवार में खुद की बेटी और दूसरों की बेटी यानी बहू में फर्क किया जाता है तो उनकी बेटी को उनके ससुराल में सम्मान नहीं मिलता है. इसलिए आप जितना प्यार अपनी बहू को देंगे आपकी अपनी बेटी को उसके ससुराल में उतना ही मान और सम्मान मिलेगा. बहू और बेटी का सम्मान हर किसी को करना चाहिए जिससे किसी को कोई समस्या नहीं हो.

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