राजनीति

तीन तलाक पर मोदी सरकार ने दी अध्यादेश को मंजूरी, जानिए क्या है पूरा मामला

मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाने के लिए एक बड़ा फैसला किया है। मोदी कैबिनट के बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। बता दें कि तीन तलाक बिल पिछले दो सत्रों से लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में अटका है। लेकिन अब इस पर मोदी सरकार द्वारा एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। जो छह महीने तक काम करेगी।

ज्ञात हो कि मानसून सत्र के अंतिम दिन जो तीन तलाक बिल आया था जो राज्यसभा में पास नहीं हो सका। लेकिन उसे अध्यादेश के जरिए कानून बनाने की मंजूरी मिली है। इससे पहले भी सरकार ने तीन तलाक बिल पर अध्यादेश को मंजूरी दी थी। जो लोकसभा में तो पास करा लिया गया लेकिन राज्यसभा में फंस गया।

संशोधित बिल में क्या है – तीन तलाक बिल में विरोध के बाद संशोधन किया गया है। नए बिल में तीन तलाक जैसे मामलों को गैर जमानती के दायरे में तो रखा गया है लेकिन इसमें कहा गया है कि मामले की जांच कर इस पर जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट को होगा।

मतलब ट्रायल से पहले दोनों पक्षों को सुनकर मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है। तीन तलाक मामले में कोई भी पड़ोसी इसकी शिकायत दर्ज नहीं करवा सकता। सिर्फ पीड़िता या उसके खून के रिश्तेदार ही शिकायत कर सकते हैं। मजिस्ट्रेट को ये अधिकार भी है कि वो दोनों पक्षों में सुलह करा सकते हैं। इसके अलावा ये भी संशोधन किया गया कि तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी।

कैबिनेट इस बिल पर अध्यादेश तो पारित कर दिया है। लेकिन 6 महीने बाद इसे फिर से संसद में पास करवाने के लिए पेश करना होगा। तीन तलाक के  मुद्दे पर अभी तक मोदी सरकार काफी आक्रामक रही है। हालांकि पेश किए गए बिल में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बाद कुछ संशोधन भी किया गया था। लेकिन संशोधन के बाद भी यह राज्यसभा में अटक गया है। जबकि लोकसभा से ये पहले ही पास किया जा चुका है।

क्या होगा इसके आगे- किसी भी कानून को बनाने के लिए दो तरीके होते हैं। एक तो ये कि बिल के जरिए उसे राज्यसभा और लोकसभा दोनों में पास कराया जाए। जो कि तीन तलाक बिल के अब तक नहीं हुआ है। लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में लटक गया है। दूसरा तरीका ये भी होता है कि इसे अध्यादेश के जरिए लाया जाए। लेकिन ये अध्यादेश छह महीने तक ही मान्य होते हैं। मतलब सरकार के पास एक और चुनौती होगी कि इसे फिर से राज्यसभा और लोकसभा में पास करवाया जाए।

Back to top button
?>