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14 साल में 25 बार ट्रांसफ़र हुआ था इस महिला तहसीलदार का, केबीसी में जीता था 50 लाख रुपए

एक समय था जब मध्यप्रदेश में अफ़सरों के तबादले बहुत तेज़ हो रहे थे। इनमें से ही एक थी अमिता सिंह तोमर। आपको जानकर हैरानी होगी कि अमित सिंह को 14 साल की नौकरी में 25 बार ट्रांसफ़र का दंश झेलना पड़ा है। कुछ दिनों पहले भी जब उनका तबादला ब्यावरा से 800 किलोमीटर दूर सीधी में हुआ था, तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त भी लिखा था। अमिता ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी ट्वीट करके न्याय की गुहार लगाई है।

कभी लोग बुलाते थे केबीसी वाली मैडम के नाम से:

 

अमिता ने बताया कि, मैंने गृह जिले ग्वालियर और शिवपुरी का आवेदन किया था। लेकिन सीधी भेज दिया गया। जान बूझकर मुझे ऐसी जगह भेज दिया जाता है, जहाँ सही रेल सुविधा भी नहीं होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कभी अमिता केबीसी में 5 करोड़ रुपए जीतने से चूक गयी थीं। 2011 में अमिता ने केबीसी में हिस्सा लिया था और एक ग़लत जवाब की वजह से केवल 50 लाख रुपए ही जीत पाई थी। अमिता ने बताया कि कभी उन्हें केबीसी वाली मैडम के नाम से भी बुलाया जाता था।

अमिता का पुराना नाता है विवादों से:

लेकिन अब इतना तबदला हो चुका है कि अब तबादले वाली मैडम कहकर मज़ाक़ उड़ाया जाता है। अमिता के अनुसार रसूखदारों के अवैध क़ब्ज़े हटाने की वजह से उनका तबदला कर दिया गया। अमिता ने बताया कि ब्यावरा में गणेश मंदिर की ज़मीन पर दो मंज़िला अवैध मकान बना था। हाईकोर्ट के आदेश के पालन में 15 दिन पहले वहाँ से क़ब्ज़ा हटाया गया। एबी रोड पर उपाध्याय परिवार के अवैध निर्माण 5 दिन पहले तोड़े। इन लोगों का सम्बंध भाजपा से था और इन्होंने मुझे ताबदले की धमकी भी दी थी। आपको बता दें अमिता का विवादों से पुराना नाता रहा है।

छात्रा को चाटा मारने की वजह से घिरी थी विवादों में:

अमिता के ऊपर श्योपुर जिले में ज़मीन के दस्तावेज़ में हेराफेरी करने का भी आरोप लग चुका है। अमिता ने फ़ेसबुक पर लिखा था कि, प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि वो ‘राजीव गांधी सुसाइड योजना’ शुरू करें, ताकि सेक्युलर और कांग्रेसी विचार के लोग ऐसी ख़बर सुनकर सुसाइड कर सकें। इसके अलावा खुले में शौच मुक्त अभियान के दौरान बाराद्वानी की 10वीं की एक छात्रा को चाटा मारने की वजह से भी विवादों में घिर गयी थीं। युवती को चाटा मारने के बारे में अमिता का कहना है कि यह शिकायत झूठी थी।

अपने फ़ेसबुक पोस्ट पर अमिता का कहना है कि, वो पोस्ट मैंने मज़ाक़ में डाली थी। मैं उसके लिए माफ़ी भी माँग चुकी थी, इसके बाद भी मेरा तबादला कर दिया गया। जानकारी के अनुसार 2003 में अमिता नायाब तहसीलदार बनी थी। इसके बाद 2011 में वह प्रमोट होकर तहसीलदार बन गयी। अमिता के पति ग्वालियर में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं। वहीं अमिता की बेटी मध्य प्रदेश के देवास में डॉक्टर अदिति सिंह महिला सशक्तिकरण अधिकारी है।

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