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इस रेलवे स्टेशन पर ‘प्लेटफार्म फिक्सिंग’ के लिए विक्रेता रेलकर्मी को देते हैं घूस

बिहार: मैच फिक्सिंग तो सुना होगा आपने लेकिन प्लेटफार्म फिक्सिंग को सुनकर थोड़ा तो अजीब लगा ही होगा? मैच फिक्सिंग की तरह रेलवे स्टेशन पर भी फिक्सिंग का गोरखधंधा चलता है। जी हां, जिस तरह से मैच में फिक्सिंग होकर हार जीत तय हो सकता है, ऐसे ही रेलवे स्टेशन पर ऐन वक्त पर आपके ट्रेन की प्लेटफार्म बदल सकती है। आपको शायद हमारे इस खबर पर यकीन नहीं हो, लेकिन हमारे रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आपको जरूर यकीन हो जाएगा। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?

ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आएगी ये तो फिक्स होता ही है, लेकिन हम ऐसे फिक्सिंग की बात कर रहे हैं, जहां विक्रेता रेल अधिकारियोंं को घूस देकर ऐन मौके पर अपने सहूलियत के मुताबिक प्लेटफार्म बदलवा लेते हैं। जी हां, ऐसा ही मामला बिहार से आया है। बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर कुछ इसी तरह का गोरखधंधा चलता था, जिसका खुलासा दो दिन पहले ही हुआ है। अब आप सोच रहे है होंगे कि आखिर इसका खुलासा कैसे हुआ?

दरअसल, दो दिन पहले जब पूर्व मध्य रेलवे जोन के आला अधिकारियों के पास एक ऐसी रिकॉर्डिंग पहुंची, जिसे सुनकर उनके पांवो तले जमीन खिसक गई। जी हां,आडियो से मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन के रेलकर्मी और वहीं के प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के बीच की बातचीत सामने आई, जिसमें प्लेटफार्म फिक्सिंग की बात हो रही है। आपको बता दें कि ऑडियो को सुनने के बाद स्टेशन कर्मियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हुई।

आपको बता दें कि ऑडियो रिकॉर्डिंग में रेलकर्मियों और विक्रेताओं के बीच ये बात हो रही थी कि स्टेशन पर ट्रेन आने वाली है, उसे किस प्लेटफार्म पर लगाना है? मतलब रेलकर्मी विक्रेताओं से पूछ रहा था कि ट्रेन को किस प्लेटफार्म पर लगाना है। बताते चलें कि इसके लिए विक्रेता रेलकर्मी को 100 रूपये घूस देते हैं। आपको ये भी बता दें कि विक्रेता इसलिए घूस देते हैं, ताकि उनकी बिक्री ज्यादा हो।

इस खुलासे के बाद मुजफ्फुर के तीन रेलकर्मी दोषी पाएं गये, जिसके बाद उनपर सख्त कार्रवाई होते हुए उन्हे निलंबित कर दिया गया है। भले ही इनपर कार्रवाई हुई हो लेकिन ये अपने आप में बड़ी समस्या है क्योंकि रेलवे स्टेशन पर इस तरह के गोरखधंधा रेलवे प्रशासन पर सीधे सीधे सवाल खड़े करते हैं।

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