अध्यात्म

समुद्र का पानी आखिर इतना खारा क्यों होता है, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

पानी एक, रूप अनेक.. धरती पर जल और जीवन दोनो एक दूसरे के पूरक हैं.. यहां प्रकृति के हर कोने में, प्रत्येक घटक में पानी है लेकिन हर जगह इसके रंग-रूप और अवस्थाएँ अलग-अलग हैं.. जहां वर्षा का पानी मीठा होता है, वहीं समुद्र का पानी नमकीन यानी खारा होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर समुद्र का पानी इतना खारा क्यों होता है .. अगर नहीं तो, चलिए आपको इसकी वजह बताते हैं ।

समुद्र के पानी के खारा होने के पीछे वैसे तो वैज्ञानिक कारण बताया जाता है कि समुद्र के जल में लवण की मात्रा अधिक होती है इसलिए ये नमकीन लगता है पर आज हम आपको इसके पीछे की पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं .. जिसके अनुसार समुद्र का जल एक श्राप के कारण खारा हुआ था। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब महाराजा पृथु के पुत्रों ने समुद्रों का निर्माण किया था तो सातों समुद्र, मीठे और दूध जैसे द्रव्यों भरे थे लेकिन फिर एक श्राप ने समुद्र से उसके मीठे पानी का गुण छीन लिया और ये श्राप दिया था देवी पार्वती ने। तो चलिए विस्तार से इस कथा के बारे में जानते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार जब हिमालय पुत्री देवी उमा यानी पार्वती भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए कठीन तपस्या कर रही थी तो उनके तप के प्रताप से तीनों लोक कांपने लगे.. यहां तक देवी पार्वती की घोर तपस्या को देख देवता भी सशंकित हो गए। ऐसे में उनकी तपस्या को तोड़ने के लिए सभी देवताओं ने आपस में विचार-विमर्श किया.. लेकिन इसी बीच समुद्र देवता माता पार्वती के रूप को देखकर उनपर मोहित हो गए इसलिए इस विचार विमर्श के दौरान अपनी भावनाओं में वशीभूत होकर उन्होंने भगवान शिव के विषय में काफी बुरा-भला कहा।

पर कथा अनुसार भगवान शिव और बाकी देवताओं ने उस समय समुद्र देवता को उनकी इस कृत्य के लिए क्षमा कर दिया .. ऐसे में इससे उनका साहस और भी बढ़ गया और अपना प्रणय निवेदन लेकर वो सीधे देवी पार्वती के पास पहुंचे गए । वहां जब उन्होने देवी पार्वति के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो माता पार्वती ने कहा कि उन्होने हृदय से भगवान शिव को अपना पति मान लिया है ऐसे में वो किसी और से विवाह के विषय में सोच भी नहीं सकती.. ऐसा कहते हुए उन्होने समुद्र देवता के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

माता पार्वती के द्वारा अपने प्रणय निवेदन को ठुकराए जाने से समुद्र देवता नाराज हो गए और वो क्रोध में आकर वहीं भगवान शिव के बारे में बुरा-भला कहने लगे। समुद्र देवता ने शिव जी के बारे में देवी पार्वती से कहा कि उस श्मशान निवासी अघोरी तपस्वी में ऐसा क्या रखा है जो मुझमें नहीं है। शिव से विवाह कर तुम्हे कैलाश पर भूत-पिशाचों के बीच में रहना पड़ेगा इसलिए अभी भी तुम्हारे लिए समय है.. अपना फैसला बदल लो, तुम मुझसे विवाह कर सारे सुख भोग सकती हो ।

इस दौरान घमंड में चूर समुद्र देवता ने अपना बड़प्पन जताने के लिए देवी पार्वती से कहा कि मेरे समुद्र तो दूध और मीठे जल से भरे हुए हैं इसलिए मैं ही तुम्हारा पति बनने का अधिकारी हूं.. ऐसे में समुद्र देवता के इस बात को सुनकर आहत हुई देवी पार्वती ने समुद्र देवता को श्राप दे दिया कि जिस मीठे जल पर इतना समुद्र देवता को इतना अभिमान है वो जल खारा हो जाए और इस तरह पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती के उस श्राप के चलते ही क्षीरसागर का मीठा जल और दूध खारे जल में बदल गया और समुद्र का पानी हमेशा के लिए खारा हो गया।

 

Back to top button