अध्यात्म

भगवान गणेश के इस प्राचीन मंदिर का सम्बन्ध है रावण के एक भाई विभीषण से, जानकर होगा आश्चर्य

वैसे तो पूरी दुनिया में धर्म को बहुत महत्व दिया जाता है, लेकिन भारत में धर्म को काफी ख़ास स्थान दिया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। यही वजह है कि यहाँ हिन्दुओं के मंदिर और मुस्लिमों के मस्जिद के साथ ही गुरूद्वारे और चर्च भी देखने को मिलते हैं। साथ ही अन्य धर्मों के पूजास्थल भी देखे जा सकते हैं। भारत में अबसे ज्यादा हिन्दू आबादी है, इस वजह से यहाँ मंदिरों की संख्या बहुत ज्यादा है।

भगवान गणेश को हिन्दुओं में प्रथम पूज्य माना जाता है। इस वजह से किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा जरुर की जाती है। भगवान गणेश के भारत में कई प्रसिद्द मंदिर हैं। लेकिन कुछ मंदिर अपने इतिहास की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं। ऐसा ही एक भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार नाम का प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में त्रिचि नाम के स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ है। इस मंदिर क बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना का कारण रावण का भाई विभीषण बना था।

यह मंदिर लगभग 273 फूट की ऊँचाई पर बसा हुआ है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 400 सीढ़ियों की चढ़ाई भी करनी पड़ती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम ने रावण को मारकर लंका पर विजय पायी थी और माता सीता को आजाद करवाया था, उसके बाद उन्होंने विभीषण को भगवान विष्णु के रूप रंगनाथ की एक मूर्ति भेंट की थी। विभीषण उस मूर्ति को लेकर लंका जाना चाहता। विभीषण का सम्बन्ध राक्षस कुल से था इसलिए देवता नहीं चाहते थे कि मूर्ति लंका जाये। फिर देवताओं ने भगवान गणेश से मदद माँगी और मूर्ति के साथ एक शर्त रखी गयी कि जहाँ मूर्ति को जमीन पर रखा जायेगा वह वहीँ स्थापित हो जाएगी।

जब विभीषण त्रिची पहुँचा ओ कावेरी नदी को देखकर उसे स्नान करने का मन हुआ। वह मूर्ति को किसी को पकड़ने के लिए खोज ही रहा था कि एक बालक का रूप लेकर वहाँ भगवन गणेश पहुँच गए। विभीषण ने बालक को मूर्ति पकड़कर नीचे ना रखने की बात कही। विभीषण के जाने के बाद बालक ने मूर्ति को वहीँ रख दिया। आकर जब विभीषण मूर्ति उठाने की कोशिश करने लगा तो मूर्ति हिली भी नहीं। क्रोधित होकर विभीषण जब बालक को खोजने लगा तो बालक भागते हुए एक पहाड़ पर चढ़ गया और आगे का रास्ता ना होने के कारण वहीँ बैठ गया। जब क्रोधित विभीषण ने बालक के सर पर वार किया तो भगवान गणेश ने अपना असली रूप दिखाया। यह देखकर विभीषण ने उनसे क्षमा माँगी। तब से भगवान गणेश वहीँ स्थित हैं।

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