राजनीति

बढ़ने वाली है ग्राम पंचायतों की मुसीबत, अब गांवों को भी देना होगा जीएसटी

कुशीनगर: जीएसटी यानी एक देश एक टैक्स। केंद्र सरकार के जीएसटी लाने के बाद से अब लोगों को कई तरह के टैक्स से छुटकारा मिल गया है। अब लोगों को सिर्फ एक टैक्स का भुगतान करना होता है। जीएसटी के आने के बाद से कई चीजों के दाम घटे हैं तो कुछ चीजों के दामों में बढ़ोत्तरी भी हुई है। केंद्र सरकार के जीएसटी लागू करने के बाद से सरकार की काफी खिंचाई भी हुई। देश के कुछ लोग इस टैक्स प्रणाली का खुलकर समर्थन कर रहे हैं वहीँ विपक्षी दल और देश के कुछ लोग पीएम मोदी की इस टैक्स नीति का जमकर विरोध भी कर रहे हैं।

हालांकि लोगों का यह विरोध अब कम देखने को मिल रहा है। नोटबंदी के बाद मोदी सरकार की यह सबसे बड़ी घोषणा थी। अब जानकारी मिल रही है कि जीएसटी के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को भी लाया जायेगा। सालों से बिना किसी कर के कार्य करती आ रही ग्राम पंचायतें भी अब टैक्स के दायरे में होंगी। अब से विकास के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को मिलने वाली सभी तरह की धनराशि के भुगतान के साथ अलग-अलग दर का जीएसटी भी देना होगा।

गांवों के विकास के लिए जो पैसा राज्य और चौदहवां वित्त से आता है उसपर भी जीएसटी देना होगा। इन वित्त आयोग के धनराशि से होने वाले विकास कार्यों के स्टीमेट में ही जीएसटी शामिल रहेगा। विकास के कार्यों में लगने वाले ईंट और बिल्डिंग मैटेरियल के सामानों पर अलग-अलग दर से जीएसटी निर्धारित किया गया है। मिट्टी से बनने वाली ईंट पर पाँच प्रतिशत तथा बिल्डिंग मैटेरियल पर 12 प्रतिशत जीएसटी अब ग्राम पंचायतों को देना होगा।

राज्य और केंद्र की तरफ से जो भी धनराशी गाँव के विकास के लिए मिलेगी, उसमें से 5-12 प्रतिशत जीएसटी के तौर पर कट जाएगी। अब से गांवों में उतने पैसे का विकास कार्य कम हो जायेगा। ग्राम पंचायतों में काम करने वाले मजदूर इस व्यवस्था से बाहर होंगे। जीएसटी से कटने वाला पैसा बिल से ही कटेगा जो ग्राम सभा या ब्लॉक में नहीं रहेगा। ब्लॉक के बीडीओ उसे एक सप्ताह में उसके हेड में जमा करवाएंगे।

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