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गाना सुन रहे थे तीन दोस्त, कुछ ही पल में हमेशा के लिए दुनिया छोड़ कर बिछड़ गये

बढ़ रहे उद्योग धंधों से रोजगार का तो विकास होते सुना होगा पर इस तरह 3 नौजवान हादसे के दौरान दलदल में समा जाएंगे ये किसी ने सोचा भी नही था. हादसे के पूर्व वे मस्ती में नाच-गा रहे थे पर किसी को इस बात का अंदेशा भी नही था कि ये मौजमस्ती जिंदगी के आखिरी पल हैं. इसके बाद उन्होंने वह मस्ती वाला वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था जिसमे तीनो मस्ती में झूम रहे थे. घटनास्थल एक नवनिर्माण चल रहा फैक्ट्री है जो एन.आर. इंडस्ट्रीज के तहत बनाया जा रहा. फैक्ट्री निर्माण अपने द्वितीय चरण पर था जब काफी दिनों से मजदूर स्टोरेज टैंक के निर्माण में लगे थे. नींव मजबूती के लिए खुदाई काफी गहराई में कई जाती है इसके बावजूद भी वो टांकों से बना दीवार ढलते-ढलते रेत में समाहित हो गया. बहरहाल, चलिए जानते हैं आखिर ये पूरी खबर क्या है…

वहां काम कर रहे अन्य मजदूर बताते हैं कि काम खत्म कर कुछ मिनट पहले वो तीनो गाना बजाकर नाच रहे थे कि तभी टांकों की दीवार का सिरा ढहना शुरू हो गया. तमाम कोशिशों के बावजूद भी वो तीनो रेत में ढहते दीवार की चपेट में आ गए. मृतकों में तीन नौजवान शामिल थे जिनका नाम धनराज, शंकर और भाखरराम का नाम सामने आ रहा है. घटनास्थल पर मौजूद मजदूर बताते हैं कि इनकी रिछोली के मलबों में धंसने से आकश्मिक मौत हो गयी.

तीनो की मृत्यु होने की खबर उनके परिजनों को मिली तब सभी उस फैक्ट्री के निर्माणस्थल पर पहुंच गए. परिजनों ने थानाधिकारी के पास यह रिपोर्ट जारी किया कि वहां के ठेकेदारों की कोई गलती नही है बल्कि वो तीनो इस हादसे का शिकार हो गए. हालांकि पुलिस भी अपने तरीके से इस केस की जांच में जुट गई लेकिन कुछ खास इजाफा नही हुआ.

तीनो नौजवानों की मृत्यु के बाद वहां के ठेकेदारों और थानाधिकारी ने परिजनों के साथ एक सभा की व्यवस्था की जहां घटना संबंधी वार्तालाप किये गए. मौत होने के बाद कुछ लोग पुलिस केस का प्रश्न जाहिर कर रहे थे वहीं दूसरे परिजन इसमें उद्यमी की गलती न मानते हुए दोनो के बीच सहमति का इंतजार करते रहे। उधर पुलिस ने भी केस की गहराई में जाने की जुर्रत नही की और इस सहमति सभा के निर्णय का इंतजार करते रहे जबकि उन्हें भी ये बात भलीभांति मालूम थी कि अगर निर्माण कार्य मे लापरवाही नही होती तो वो तीनो अभी जिंदा होते.

कई शर्तों और हिस्सों में बात करने के बाद परिजनों ने शव उठाने का फैसला किया पर इस दौरान 24 घंटों का वक़्त गुजर गया था. इस सभा के अंत होने तक वहां पुलिस कर्मचारी वह अन्य अधिकारी अपने आदमी लेकर इकट्ठे रहे. इस सभा मे कलक्टर, पुलिस अधीक्षक और तहसीलदार जैसे ओहदे वाले भी मौजूद थे जिन्होंने सहमति के लिए काफी देर तक वार्ता जारी रखा. शव उठाने से पहले परिजनों ने मुआवजे की मांग की और ये बात सही भी था क्योंकि कार्यरत होते हुए उनके बेटों की मौत हुई थी. इसलिए किसी न किसी तरीके से जिम्मेदार उद्योग ही था. अगर कुछ पैसे मिल जाते हैं तो उनका बेटा लौटेगा नही पर आने वाली जिंदगी थोड़ी आसान दिखेगी क्योंकि वही नौजवान पूरे परिवार का भरण पोषण करते थे. अंत मे उन्हें 7.25 लाख रुपया मुआवजा के तौर पर मिलने के बाद शव को जलाया गया. देखें वीडियो- 

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