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3 दिनों की भूमिगत समाधि से बाहर निकले बाबा, कहा- मां दुर्गा रथ से आई, मुझे साथ ले गई, फिर.

भारत में कई ऐसे साधु संत है जो अपनी घोर तपस्या के लिए जाने जाते हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाबा वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज (Purushottamand Maharaj) के बारे में बताने जा रहे हैं। यह बाबा इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसकी वजह इनका जमीन के अंदर तीन दिन तक समाधि लेना है। बाबा जब समाधि से बाहर निकले तो बताया कि कैसे मां दुर्गा उन्हें स्वर्ग यात्रा पर ले गई।

तीन दिन की भूमिगत समाधि से बाहर निकले बाबा

दरअसल शुक्रवार सुबह 10 बजे स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज ने भोपाल के माता मंदिर के पास स्थित मां भद्रकाली विजयासन दरबार में समाधि ली थी। उनकी समाधि के लिए मंदिर परिसर में सात फीट गहरा, चार फीट चौड़ा और छह फीट लंबा गड्ढा खोदा गया था। इस गड्ढे में उतरकर बाबा ने पहले गद्दा बिछाया। फिर कुछ देर पूजा पाठ कर समाधि में लीन हो गए।

बाबा ने जब समाधि ली तो उनके भक्तों ने गड्ढे के ऊपर लकड़ी बिछा उसे ढक दिया। फिर सोमवार सुबह 10 बजे बाबा समाधि से जैसे ही बाहर निकले तो सभी उनके जयकारे करने लगे। बाबा की सेविका ने मीडिया को बताया कि बाबा ने लोक कल्याण के लिए 72 घंटों की समाधि ली थी। इसके पहले वे महेश्वर में 24 घंटे की जल समाधि ले चुके हैं। बाबा अग्नि स्नान भी कर चुके हैं।

समाधि के दौरान किए स्वर्ग के दर्शन

बाबा जैसे ही समाधि से बाहर आए तो उन्होंने भक्तों को बताया कि इन तीन दिनों के भीतर उनके साथ क्या-क्या हुआ। बाबा के अनुसार जब उन्होंने समाधि ली तो उनका शरीर तपस्या में लीन था, लेकिन उनकी आत्मा भगवान के पास थी। मां दुर्गा खुद उन्हें एक रथ पर बैठाकर स्वर्ग के दर्शन कराने ले गई। यहां माता ने उन्हें शिवलोक, विष्णुलोक और ब्रह्म लोक के दर्शन कराए।

बताते चलें कि बाबा की यह समाधि विवादों से भी घिरी रही। उन्होंने समाधि लेने से पूर्व पुलिस की इजाजत नहीं ली थी। पुलिस के मना करने के बावजूद बाबा समाधि में लीन हो गए। इस पर टीटी नगर सीएसपी का कहना है कि बाबा पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बरहाल बाबा अपनी 72 घंटों की समाधि लेने और मां दुर्गा के साथ स्वर्ग की यात्रा का दावा करने को लेकर चर्चा में बने हुए हैं।

वैसे इसके पहले भी कई बाबा इस तरह की समाधि लेते रहे हैं। उदाहरण के लिए भोपाल में ही 25 साल पहले कमला पार्क स्थित मंदिर के पास एक नागा बाबा ने 48 घंटे की समाधि ली थी।

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