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पत्नी ने प्रेग्नेंट होने के लिए जेल में बंद पति की पैरोल मांगी, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

राजस्थान के जोधपुर हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें कोर्ट से जेल में बंद एक बंदी की पत्नी ने गर्भधारण (Conceive) करने के लिए अपने पति को पैरोल पर छोड़ने की गुहार लगाई। उसकी यह याचिका हाईकोर्ट की खंडपीठ में पेश की गई थी।

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हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जोधपुर हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस फरजंद अली की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट खंडपीठ ने बंदी को 15 दिन की सशर्त पैरोल देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस फरजंद अली ने इस मामले में सुनवाई के दौरान आगे संतान के अधिकार और वंश के संरक्षण के समाजशास्त्री तथा संवैधानिक पहलुओं की विवेचना भी की।

हाईकोर्ट ने ये कहा

खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि ‘राजस्थान कैदी रिहाई पर पैरोल नियम 2021’ में कैदी को उसकी पत्नी के संतान होने के आधार पर पैरोल पर रिहा करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। फिर भी धार्मिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तथा मानवीय मूल्यों पर विचार करते हुए भारत के संविधान द्वारा मौलिक अधिकार को लेकर दी गई गारंटी और इसके साथ इसमें निहित असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह कोर्ट याचिका को स्वीकार करता है।

कोर्ट ने गर्भाधान संस्कार का जिक्र किया

सुनवाई के दौरान जस्टिस फरजंद अली ने कहा कि अगर हम मामले को धार्मिक पहलू से देखें तो हिंदू दर्शन के अनुसार गर्भाधान यानी गर्भ का धन प्राप्त करना सोलह संस्कारों में से एक है। विद्वानों ने वैदिक वर्णों के लिए गर्भाधान संस्कार का पता लगाया है। जैसे कि ऋग्वेद के अनुसार संतान और समृद्धि के लिए बार-बार प्रार्थना की जाती है।

यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और कुछ अन्य धर्मो में जन्म को ईश्वरीय आदेश कहा गया है। आदम और हवा को सांस्कृतिक जनादेश दिया गया था। इस्लामी शरिया और इस्लाम में वंश के संरक्षण के लिए कहा गया है।

पति आजीवन कारावास में है

उल्लेखनीय है कि बंदी नंदलाल अजमेर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे वर्ष 2021 में 20 दिन की पैरोल मिली थी। उस समय उसका आचरण ठीक रहा था। पैरोल खत्म होने के बाद वह नियत समय पर वापस आ गया था। उसकी पत्नी अपने ससुराल में ही रहती है। पिछले दिनों उसने अपने पति को पैरोल पर रिहा कराने के लिए आवेदन किया था। लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया तो उसने हाईकोर्ट की शरण ली। बंदी की पत्नी का कहना है कि वह अपने परिवार का वंश बढ़ाना चाहती है।

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