अध्यात्म

साढ़ेसाती और शानिदोष से चाहते हैं मुक्ति को सावन और शनिवार के ख़ास योग में करें ये उपाय!

सावन का पवित्र महिना चल रहा है। इस महीने में भगवान शंकर को प्रसन्न करने का अच्छा मौका होता है। कम प्रयास में ही भगवान शंकर को खुश किया जा सकता है। सावन का महिना भगवान शिव का सबसे प्रिय महिना है। इसलिए इस महीने में जो भी भक्त उनकी पूजा-अर्चना करता है, भगवान शिव उससे काफी प्रसन्न होते हैं। वह इस महीने में भक्तों की किसी भी माँग को अस्वीकार नहीं करते हैं, अर्थात इस महीने में जो भी माँगा जाता है, वह पूरा हो जाता है।

कुंडली में शानिदोष होने से होती हैं जीवन में कई परेशानियाँ:

शिव पूजन से इस महीने में भक्तों की सारी परेशानियों का अंत हो जाता है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार सावन के इस पवित्र महीने में अगर भगवान शंकर के साथ-साथ शनि देव की भी पूजा की जाए तो व्यक्ति को शनि दोषों से मुक्ति मिल जाती है। अगर व्यक्ति की कुंडली में शानिदोष होता है तो उसे आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। अगर आप सावन के शनिवार को कुछ ख़ास उपाय करते हैं तो आपको सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा आपके ऊपर सदा के लिए बनी रहती है।

सावन के शनिवार को करें ये उपाय:

*- सावन के शनिवार में तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें कुछ काले तिल डालकर उससे भगवान शिव का जलाभिषेक करें। ऐसा करने से भगवान शिव के साथ शनिदेव की कृपा बनी रहती है। आपकी धन सम्बन्धी समस्या भी बहुत जल्द दूर हो जाती है।

*- शनिवार के दिन किसी भी काली चीज जैसे काला तिल, उड़द की दाल, लोहे का बर्तन, काले वस्त्र, काला कम्बल दान करना काफी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आपको शानिदोष से मुक्ति मिल जाती है।

*- शनिवार के दिन सुबह थोड़ा जल्दी उठें और सभी नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाएँ। इसके बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और बाद में इस तेल की किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दे दें। इससे शनिदेव काफी प्रसन्न होते हैं और आपके ऊपर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखते हैं।

*- जब व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या होती है तो उसे जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें। इस क्रिया के बाद रुद्राक्ष की माला लेकर शनि मन्त्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या से पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है।

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