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गायिका संध्या मुख़र्जी ने ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लेने से किया मना, बोली- ‘यह मेरा अपमान होगा’…

पुरस्कार से बड़ा संध्या मुख़र्जी का कद, बोली- 'पद्मश्री पुरस्कार लेना, मतलब स्वयं का अपमान करवाना'...

बीते दिन मंगलवार को केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया। जी हां वहीं इस ऐलान के बाद अब नए विवाद सामने आ रहे हैं। बता दें कि मशहूर वेटरन सिंगर संध्या मुखर्जी (Sandhya Mukherjee) उर्फ संध्या मुखोपाध्याय ने पद्मश्री (Padma Shri) अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया है।

Sandhya Mukherjee

मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार के अधिकारियों ने उन्हें उनकी सहमति के लिए फोन किया था, लेकिन उन्होंने इसे लेने से साफ इंकार कर दिया और मालूम हो कि इस बात की पुष्टि संध्या मुखर्जी की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने की है।

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गौरतलब हो कि सौमी सेनगुप्ता ने बताया है कि, “दिल्ली से आए अधिकारी से फोन पर बात करते हुए मां ने गणतंत्र दिवस सम्मान सूची में पद्मश्री के लिए नामित होने से साफ इनकार कर दिया।” इतना ही नहीं सौमी ने आगे कहा कि, “लगभग आठ दशकों से ज्यादा के सिंगिंग करियर में 90 साल की मां संध्या को पद्मश्री के लिए चुना जाना अपमानजनक है।

” वहीं सौमी सेनगुप्ता ने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि, “जूनियर कलाकार के लिए पद्मश्री योग्य सम्मान है, ना कि ‘गीताश्री’ संध्या मुखोपाध्याय के लिए। उनका परिवार और उनके गीतों के सभी प्रेमी भी यही महसूस करते हैं।” वहीं अब हम बात संध्या मुखर्जी के व्यक्तिगत जीवन की करें तो उनका जन्म 4 अक्टूबर 1931 को कलकत्ता के ढकुरिया में हुआ था और उनके पिता रेलवे अधिकारी थे। वहीं संध्या 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं।

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बता दें कि संध्या ने पंडित संतोष कुमार बासु, प्रोफेसर एटी कन्नन और प्रोफेसर चिन्मय लाहिरी से संगीत सीखना शुरू किया था। हाँ बशर्ते कि उन्होंने गुरु के रूप में उस्ताद बड़े गुलाम अली खान को स्वीकार किया था। इसके बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हिंदी फिल्मों से की।

बता दें कि संध्या जी ने 17 हिंदी फिल्मों में गाने गाए और इसकी शुरुआत उन्होंने 1950 में आई तराना फिल्म से की थी। इसके बाद 1952 में वो निजी कारणों से कोलकाता लौट गईं और उन्होंने 1966 में बंगाली ‘कवि श्यामल गुप्ता’ से शादी की थी।

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वहीं आख़िर में बता दें कि संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज माना जाता है। उन्होंने हजारों बंगाली और गैर-बंगाली गाने भी गुनगुनाएं हैं। इतना ही नहीं संध्या और हेमंत मुखर्जी की जोड़ी को आज भी संगीत प्रेमी याद करते हैं। इसके अलावा मालूम हो कि 2011 में संध्या मुखर्जी को पश्चिम बंगाल का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘बंग विभूषण’ मिला था।

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