राजनीति

हरीश रावत ने ख़ुद को बताया कांग्रेस की ‘बालिका वधू’। देखें वीडियो…

आगामी साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है। जिनमें एक राज्य उत्तराखंड भी शामिल है और उत्तराखंड चुनाव में इस बार भाजपा, कांग्रेस के अलावा आप भी अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने की कोशिश करेगी वहीं उत्तराखंड की राजनीति में एक ऐसा चेहरा है जो किसी पहचान का मोहताज नहीं। जी हां वो कोई और नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं।

गौरतलब हो कि इस समय कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे में अपनी तैयारियों पर मंथन कर रही है। वहीं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक निजी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुलकर अपनी बात रखी। बता दें कि इस दौरान उन्होंने खुद को कांग्रेस की बालिका वधू भी बताया। आइए जानते हैं ऐसे में यह पूरी कहानी…

Harish Rawat

बता दें कि वर्तमान में हरीश रावत की कांग्रेस से नाराजगी चल रही। ऐसे में जब उनके आम आदमी पार्टी में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि , “मुझे कांग्रेस कुछ दे या नहीं, मैं कांग्रेस की बालिका वधू हूं। अपनी बात निर्भीकता से कहता हूं। मुझे बालिका वधू के रूप में श्मशान जाना मंजूर है लेकिन कांग्रेस से अलग होना मंजूर नहीं।” इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि पंजाब में कांग्रेस फिर से सत्ता में वापसी करेगी।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम अटल बिहारी और राजीव गांधी के युग के लोग हैं। उस वक्त एक दल से दूसरे दल में जाने को पाप माना जाता था। हम लोकतंत्र में जनता का विश्वास जीतकर सत्ता हासिल करने में यकीन रखते हैं और कांग्रेस अपने आप में चुनाव जीत पाने का माद्दा रखती है।


वहीं हरीश रावत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावी राज्यों में विपक्ष पर सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स जैसे मगरमच्छ का प्रयोग राजनीतिक दलों को परेशान करने के लिए किया जा रहा, लेकिन हमें इनका मुकाबला तैर कर करना है। इतना ही नहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को लेकर रावत ने कहा कि मैं केजरीवाल जी से कहना चाहता हूं कि वह अपने पार्टी की पहचान वोट कटुआ के रूप में ना बनाएं और उत्तराखंड की विभिन्नता को समझने के लिए केजरीवाल को अभी 5-7 साल का समय देना होगा।


इसके अलावा जानकारी के लिए बता दें कि हरीश रावत की कांग्रेस से नाराजगी पिछले दिनों खुलकर सामने आई। जब उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि, ”है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।”

वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि, ”जिस समुद्र में तैरना है सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है।

” इसके अलावा भी उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ”फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है ‘न दैन्यं न पलायनम्’ बड़ी ऊहापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।”

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