अध्यात्म

इस कारण सभी को नहीं मिलता है यज्ञ,अनुष्ठानों और तीर्थस्थानों के दर्शन का लाभ

आज के समय में हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा पाना चाहता है। इसके लिए दिन-रात वह भगवान की पूजा करता है। लेकिन भगवन की पूजा करने से ही सबकुछ नहीं मिल जाता है। इसके लिए आपको उस भगवान के मन जैसे खुद के मन को भी सरल बनाने की आवश्यकता है। जब हम चाहते हैं कि दुर्गा मां या सरस्वती मां हमारी पुकार सुनें तो सबसे पहले हमें अपनी जन्म देने वाली मां के बारे में ख्याल करना चाहिए।

मां का स्थान स्वर्ग से भी ज्यादा श्रेष्ठ:

हमें पहले अपनी मां को प्रसन्न करना चाहिए। बाद में देवी देवताओं की पूजा करने पर उसका लाभ मिलता है। मां का दर्जा दुनिया में सबसे ऊंचा है। हिन्दू धर्मग्रंथों और शास्त्रों में यह कहा गया है कि जन्मभूमि और जन्म देने वाली मां स्वर्ग से भी ज्यादा श्रेष्ठ होती हैं। अगर तराजू के एक पलड़े पर स्वर्ग का सुख और दूसरी तरफ अपनी मां को रखा जाए तो मां वाला पलड़ा भारी पड़ जायेगा।

कुछ लोग छोटी-छोटी बात पर अपनी मां का अपमान कर देते हैं और अगले ही पल वह तीर्थस्थल और अनेक देवी-देवताओं के धामों का भ्रमण करने जाते हैं, जो किसी भी तरह से सही नहीं होता है। अक्सर अपने सगे-सम्बन्धियों का हक छीनकर, गलत तरह से किसी दूसरे का हिस्सा लेकर यज्ञ-हवन करवाया जाए तो इसका फल उसे ही मिलता है, जिसका हिस्सा जबरदस्ती लिया गया है।

भगवान को केवल सच्चे मन से याद करना ही काफी:

अक्सर ऐसे लोग हमें मिल ही जाते हैं, जो बहुत सारी तीर्थ यात्राएं, हवन-पूजन करते रहते हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई फल नहीं मिलता है। लाभ मिला होता है लेकिन उस व्यक्ति को नहीं जिसने पूजा की है, बल्कि उसे मिलता है, जिसके हिस्से के धन से पूजा की गयी है। भगवान को खुश करने के लिए बहुत ज्यादा दिखावे की जरूरत नहीं पड़ती है, अगर कोई उन्हें सच्चे मन से केवल याद कर ले तो वह उसके सभी दुखों को दूर कर देते हैं।

भगवान शंकर को तो केवल एक लोटे जल से खुश किया जा सकता है। यज्ञ-अनुष्ठान करने से ज्यादा अच्छा होगा लोगों से मिलकर प्रेम और सहयोग से रहें। पूजा पाठ तो अच्छे संस्कार पाने के लिए की जानी चाहिए, ना कि नौकरी, धन-दौलत या मुकदमे में जीत हासिल करने के लिए। रास्ते में चलते वक्त किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के बजाय मंदिर जाने से कोई फायदा नहीं होगा। यह भी हो सकता है कि भगवान आपके हृदय की परीक्षा ले रहे हों कि आप कितने दयालु हैं। अगर आप घायल व्यक्ति को अनदेखा कर देते हैं तो भगवान भी आपको अनदेखा करना शुरू कर देते हैं।

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