राजनीति

आखिर मजदूरों के मुद्दे पर क्यों भड़क उठा सुप्रीम कोर्ट, ‘कहां गए 20 हजार करोड़?’

मई का महिना पूरी दुनिया में मजदूरों और बुर्जुआ वर्ग के अधिकारों के महीने के तौर पर मनाया जाता है, इतना ही नहीं मई की पहली तारीख यानी कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस मनाया जाता है, यह दिन दुनिया भर के मेहनतकश मजदूरों और श्रमिकों को समर्पित किया जाता है.

मजदूरों के हक के 20 हजार करोड़ रूपये कहां चले गए? :

इसी मई के महीने में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों से जुड़े एक मामले में कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है और सवाल किया है कि मजदूरों के हक के 20 हजार करोड़ रूपये कहां चले गए. यह राशी मजदूरों के कल्याण के लिए खर्च की जानी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि इतनी बड़ी और भारी भरकम राशी, क्या चाय पार्टियों पर खर्च कर दी गई या अधिकारियों की छुट्टी पर इस राशी को खर्च किया गया है?

दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. गैर सरकारी संगठन नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिस्लेशन ऑन कंस्ट्रक्शन लेबर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका के जरिये यह कहा गया है कि निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण के लिए भूमि भवन कंपनियों से मिलने वाले टैक्स का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका लाभ उठाने वालों तक पहुंचने के लिए कोई सिस्टम नहीं बनाया गया है.

आपको बता दें कि भवन और अन्य निर्माण मजदूर कल्याण कर अधिनियम के तहत एक विशेष प्रकार का टैक्स वसूला जाता है जिसका उद्देश्य मजदूरों और श्रमिकों के कल्याण के लिए आर्थिक विकल्प उपलब्ध कराना है, ऐसे में इस आधिनियम के तहत एकत्रित की गयी राशी का कोई ब्यौरा सरकारी विभागों के पास एकत्र नहीं है.

CAG के पास भी नहीं है जानकारी :

सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से जानकारी मांगी, मगर कैग के पास इस सम्बन्ध में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं थी. जिस पर आश्चर्य जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कैग के हलफनामे और रिपोर्ट को देखने के बाद इसे आश्चर्यजनक बताया. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि कैग को भी नहीं पता कि लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की राशि कहां है.

कोर्ट ने कैग को इस धन के सम्बन्ध में जानकारी करने और जांच पड़ताल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर कल्याण कर अधिनियम के लागू होने से अब तक की एकत्र राशि की जानकारी करने का निर्देश दिया. आपको बता दें कि यह अधिनियम साल 1996 से लागू हुआ है तबसे इस साल 31 मार्च तक वसूल किये गए टैक्स की राशी को कहां खर्च किया गया इस बारे में विभाग या कैग के पास कोई जानकारी नहीं है.

Back to top button