अध्यात्म

महाराष्ट्र के ऐसे संत जो डाल देते हैं मुर्दों में भी जान, पर लोग उन के बारे में कम ही जानते हैं .!

महाराष्ट्र में एक छोटे से गांव में परम पूज्य श्री गजानन महाराज रहते थे। जो खारे पानी को भी मीठा बना देते थे, बीमार व्यक्ति को स्वस्थ कर देते थे, गरीब लोगों की झोली खुशियों से भर देते थे, दुखियों के सभी दुख हर लेते थे, और जिन माता पिता को संतान नहीं होती थी उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी देते थे। हम बात कर रहे हैं शेगाव के संत श्री गजानन महाराज की। इन को भगवान के स्वरूप में से एक रूप माना जाता है। हालांकि आज गजानन महाराज लोगों के बीच में नहीं हैं परंतु उनके भक्त आज भी उन के चमत्कार को महसूस करते हैं, और मानते हैं कि उनके महाराज गजानन जी उन लोगों के बीच में है।

परम पूज्य श्री गजानन महाराज :

शेगाव के लोग कहते हैं कि गजानन महाराज के छूने मात्र से लोगों के ऐसे भयानक रोग खत्म हो जाते थे जिसका कोई इलाज नहीं था। आज भी उनके आश्रम में लाखों की भीड़ भोजन रूपी प्रसाद के लिए जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस प्रसाद को सच्चे मन से ग्रहण करते हैं। उनके भारी से भारी पाप सेकेंडों में खत्म हो जाते हैं। आज हम आपको उनकी कहानी बताएंगे और उनके कुछ ऐसे चमत्कार भी बताएंगे जिसको विश्वास करने के लिए आपको एक बार उस आश्रम में जरूर जाना चाहिए।

गजानन महाराज कब पैदा हुए, कहां पैदा हुए इसका कोई भी प्रमाण नहीं है। पर 23 फरवरी 1818 में इन्हें एक गांव में देखा गया। जिसका नाम शेगाव था। वहां एक धनी परिवार में एक बच्चा हुआ था उसके होने की खुशी में गांव को खाना खिलाया जा रहा था। तभी एक आदमी वहां से गुजर रहा था और उसने देखा कि एक छोटा सा बालक जो देखने में बिल्कुल साधारण लग रहा था। वह लोगों के जूठे पत्तल में से भोजन निकाल कर खा रहा था। जब उस आदमी ने कहा कि तुम साफ खाना क्यों नहीं खा रहे हो तब श्री गजानन महाराज जी ने कहा कि अन्न ब्रह्मस्वरूप होता है इसको व्यर्थ में नष्ट नहीं करना चाहिए। तब पहली बार उन्हें शेगांव में देखा गया था।

ऐसे जूठे पत्तल वाली कहानी सुनकर सब ने सोच लिया था कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। जब इन के भक्तों को यह पता लगा कि यह भगवान का स्वरूप हैं तो लोग इन्हें महंगे खाने, कपड़े और ना जाने कितने महंगे उपहार देते थे। परंतु श्री संत गजानन महाराज जी ने कभी भी इन सब का मोह नहीं रखा।

श्री गजानन महाराज जी ने कभी भी इन महंगे उपहारों को या सामानों को अपने पास नहीं रखा। यह गरीब लोगों में और जरूरतमंद लोगों में इन सब का दान कर देते थे। अगर आज आप शेगांव में उनकी समाधि स्थल पर जाएंगे। तो आपको पता चलेगा कि आज भी यहां पर दान पूण्य का कोई महत्व नहीं है। यहां पर राम मंदिर और हजारों साल पुरानी हनुमान जी की प्रतिमा बनाई गई है। जिसे देख कर आप को इस बात का एहसास हो जाएगा कि श्री संत गजानन महाराज जी ने इसे कितनी शांति और धैर्य के साथ बनाया था। श्री गजानन महाराज जी ने 1910 में समाधि ले ली थी। परंतु इससे पहले उनके एक बड़े भक्त गंगाधर तिलक भी रह चुके थे।

उनकी समाधि ले लेने के बाद अगर आज भी कोई भक्त उनके आश्रम आता है। तो उसे निश्चित रूप से उसका मनचाहा वरदान जरूर प्राप्त होता है। अगर आप भी किसी बात को लेकर चिंतित हैं या आपके पास कोई समस्या है। जिसका हल आपको नहीं मिल रहा है तो आपको एक बार इस आश्रम में जरूर आना चाहिए। क्योंकि गजानन महाराज ऐसे लोगों को भी ठीक कर देते थे जिसका परिणाम आखिर में मृत्यु ही होता था। परंतु उनके मात्र स्पर्श से ही वह मृत्यु जीवन में बदल जाती थी।

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