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अगर आपके पास हैं 500 और 1000 के पुराने नोट तो घबराएं नहीं, मिल सकता है एक और मौका!

पीएम मोदी के अबतक से सबसे साहसिक और ऐतिहासिक कदमों में सबसे बड़े कदम के तौर पर देखे जाने वाले नोटबंदी की मियाद पूरी हो चुकी है. लेकिन अभी भी बहुत से लोगों के पास 500 और 1000 के पुराने करेंसी नोट हैं. ऐसे बहुत से लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत याचिका डाली थी और सर्वोच्च न्यायालय से यह अपील की थी कि न्यायालय उनके कारणों पर विचार करने के बाद सरकार से नोट बदलने का एक और मौका देने को कहे.

मिल सकता है एक और मौका :

इस मामले में सुनवाई के बाद जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला ले सकता है. मामले में प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की बेंच ने सीधे तौर पर व्यक्तिगत मामलों में दिलचस्पी लेने से मना कर दिया. उन्होंने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और याचिकाकर्ताओं के वकीलों का पक्ष सुना और कहा कि हम यह तय करेंगे कि सरकार को एकबार और नोट बदलने का मौका देने के निर्देश दिए जाएं या नहीं. लेकिन किसका कारण उचित है और मान्य है यह खुद सरकार तय करेगी.

मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि नोटबंदी के लिए सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश में नागरिकों को नोट जमा कराने के लिए एक और मौका दिए जाने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है. अध्यादेश के नियमों के अनुसार चलन से बाहर किये गए करेंसी नोट रखना एक अपराध है. उन्होंने बताया कि सरकार के अनुसार अब बंद हो चुके करेंसी नोट बदले जाने के लिए कोई मौका नहीं दिया जायेगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसी दर्जनभर याचिकाएं आई हैं जिनमें 30 दिसम्बर से पहले नोट नहीं जमा करा पाने की तमाम वजहों का हवाला दिया गया है. इन याचिकाओं में वकीलों ने सरकार के द्वारा जामा कराये गए शपथ पत्र को भी सामान्य सा शपथ पत्र बताया है. उनका कहना है कि सरकार नोट रखे रहने के बिल्कुल अलग कारणों पर भी बिना प्रतिक्रिया दिए केवल सामान्य सा शपथ पत्र जमा कर दे रही है.

गौरतलब है कि शपथ पत्र में एक ऐसे मामले का जिक्र है जिसमें याचिकाकर्ता ने लगभग 67 लाख रूपये के पुराने नोट जमा कराने की मांग की है. याचिकाकर्ता ने बताया है कि उसके बैंक खाते में केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने के कारण वह ये रकम समय पर नहीं जमा करा पाया.

अब इस तरह के सभी मामलों पर मुख्य न्यायाधीश समेत तीन जजों की बेंच यह फैसला करेगी कि सरकार को इस सम्बन्ध में दुबारा नोट बदलने का मौका देने को कहा जाये या नहीं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जुलाई से पहले ही निर्णय ले सकता है. इसलिए माना जा रहा है कि पुराने नोट रखने वालों को वाजिब कारण होने पर एक बार और नोट बदलने का मौका मिल सकता है.

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