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मथुरा की पकौड़ी हो या ग्वालियर का लड्डू, सब बड़े चाव से खाते थे अटलजी, पढ़े उनके खाने के ये किस्से

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) एक ऐसे शख्स थे जिन्हें हर कोई पसंद करता था. यहाँ तक कि विपक्ष पार्टी के लोग भी उनकी तारीफ किए बिना खुद को रोक नहीं पाते थे. वे एक राजनेता होने के साथ साथ एक बेहतरीन वक्ता और शानदार कवि भी थे. उनकी लिखी कविताएं लोग आज भी बड़े चाव से पढ़ते हैं. 16 मई 1996 में वे देश के 11वें प्रधानमंत्री बने थे. हालाँकि बहुमत ना मिलने के कारण उनकी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई थी. लेकिन वे इससे निराश नहीं हुए थे बल्कि फिर से मेहनत और प्रयास करने में लग गए थे. इसके बाद 1998 से 1999 तक वे दोबारा पीएम बने थे. इस बार उनकी सरकार 13 महीनों तक चली थी. फिर 1999 से 2004 तक उन्होंने पूरे पांच साल अपने प्रधामंत्री होने का दायित्व निभाया था.

खाने के शौक़ीन थे अटलजी

अटलजी भारतीय जनता पार्टी की नीव रखने के लिए जाने जाते हैं. आज भाजपा उन्हीं के दिखाएं मार्ग पर चलती है. हम सभी उन्हें एक अच्छे राजनेता, बेहतरीन कवि और बढ़िया प्रवक्ता के रूप में जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अटलजी को खाने पिने का भी बड़ा शौक था. उनके खान पान को लेकर कुछ किस्से भी महशूर हैं. आज हम इन्हीं किस्सों के बारे में जानेंगे.

लड्डू और चिवड़ा थे फेवरेट

अटलजी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के शहर ग्वालियर में हुआ था. उन्होंने अपना बचपन इसी शहर में बिताया था. यही वजह हैं कि इस शहर से उनके कई किस्से जुड़े हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वे बहादुरा के लड्डू और चिवड़ा नमकीन बेहद पसंद करते थे. इसके अतिरिक्त ठंडाई, खीर और मालपुआ भी उनके फेवरेट हुआ करते थे. उन्हें जब भी मौका मिलता था वे यहाँ अपनी भूख मिटाने जरूर जाते थे.

दोस्तों संग इमारती खाने का था शौक

एक दफा अटलजी के पड़ोसी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बाताया था कि वे खाने के लिए असर शहर की लोकप्रिय जगहों पर जाया करते थे. उन्हें इमारती खाने का बड़ा शौक था. वे अक्सर इमारती की दूकान पर अपने दोस्तों संग जाते थे. यहाँ जब भी पैसे देने की बारी आती थी तो अटलजी पीछे हट जाते थे. फिर उनके दोस्तों को ही सारे पैसे चुकाने पड़ते थे.

मथुरा की पकौड़ी के थे शौक़ीन

दिलचस्प बात ये रही कि जब अटलजी देश के प्रधानमंत्री बन गए तो भी उनका खाने का ये शौक ज़रा भी कम नहीं हुआ. उनका जब भी मथुरा राउंड लगता था तो वो वहां पकौड़ी खाकर जरूर आते थे. फिर जब दिल्ली में होते थे तो सुरेश पकौड़ी वाले के यहाँ से भी पकौड़ी मंगवाया करते थे. जब भी किसी का मथुरा टू दिल्ली या दिल्ली टू मथुरा का राउंड लगता था तो वे उनसे पकौड़ी मंगवा लेते थे.

अटलजी जमीन से जुड़े इंसान थे. जब 16 अगस्त 2018 को वे स्वर्ग सिधार गए तो पूरा देश गम में डूब गया था. वे कई लोगो के लिए प्रेरणा थे. लोगों को उनसे बहुत कुछ सिखने को मिलता था. अटलजी भले इस दुनिया से चले गए लेकिन हमारी यादों में वे अब भी जिंदा हैं.

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