राजनीति

लॉकडाउन में बेबस प्रवासी मजदूर बोला- ‘दिल्ली नहीं, अपने गाँव जाकर मरना हैं’

कोरोना वायरस (Corona Virus) और लॉकडाउन (Lockdown) का सबसे बड़ा कहर उन लोगो पर बरस रहा हैं जो अपने घर से दूर गैर-राज्य में हैं. खासकर गरीब और मजदूर वर्ग के पास काम ना होने की वजह से पैसा और राशन दोनों ही नहीं हैं. ऐसे में ये भूखे प्यासे मजदूर पैदल ही अपने घर का रास्ता नाप रहे हैं. सरकार ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन की वयवस्था कर दी हैं लेकिन फिर भी यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं.

गाँव में मरना हैं, दिल्ली में नहीं

शुक्रवार के दिन कई मजदूर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में स्थित अपने गाँव जा रहे थे. ऐसे में उनसे पूछा गया कि सरकार ने जब स्पेशल ट्रेन चलाई हैं तो आप पैदल क्यों जा रहे हैं? इस पर एक मजदूर ने कहा “मुझे स्पेशल ट्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं. मैंने पैदल ही चलने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि मैं दिल्ली में नहीं मरना चाहता हूँ, मैं अपने गाँव में मरना चाहता हूँ.

बहू को बच्चा हुआ लेकिन खाने को कुछ नहीं

दिल्ली के तालकटोरा रोड के आसपास रहने वाले 90 मजदूर लॉकडाउन में फंसे हैं. इन सभी की मांग हैं कि उन्हें घर वापस भेजा जाए. इनमे से एक मजदूर ने बाताया “मेरे पास पैसे नहीं हैं. मेरी बहू ने 7 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया हैं लेकिन खाना ना होने की वजह से उसने कुछ नहीं खाया हैं.

रजिस्ट्रेशन के लिए स्मार्टफोन – कंप्यूटर कहाँ से लाए?

एक प्रवासी मजदूर विनोद ने बाताया “पहले हम पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन गए थे, वहां से हमे डीएम के ऑफिस भेजा गया. जब हम वहां गए तो हमें एक चिट थमा दी जिसमे एक वेबसाइट का लिंक था. अब हमारे पास ना तो स्मार्टफोन हैं और ना ही कंप्यूटर हैं. ऐसे में हम कहाँ जाए?


लॉकडाउन में इसी तरह के और भी नज़ारे देखने को मिल रहे हैं. अभी कल शुक्रवार को ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद से घर लौट रहे 16 मजदूर ट्रेन से कट मर गए थे. ये सभी थक गए थे इसलिए रेल की पटरियों पर सो रहे थे.

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