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कोर्ट में तलाक लेने पहुंचे थे पति पत्नी, जज की इन बातों को सुन झलक आए आंसू, पहना दी फूलमाला

आज के ज़माने में शादी के बाद तलाक ज्यादा देखने को मिलते हैं. पति और पत्नी छोटी छोटी बातों पर भी आजकल तलाक लेने की जिद पर अड़ जाते हैं. जब भी हस्बैंड वाइफ के बीच तलाक होता हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर बच्चे पर पड़ता हैं. तलाक के बाद बच्चे को माता और पिता दोनों का प्यारऔर परवरिश नहीं मिल पाती हैं. मानसिक रूप से भी बच्चा प्रभावित होता हैं. ऐसे में समझदारी इसी में होती हैं कि छोटी और फालतू बातों पर तलाक ना लिया जाए. यदि पति पत्नी अपने आपसी मतभेद भुला दे तो तलाक की जरूरत ही नहीं पड़ती हैं. अब उदहारण के लिए मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर की इस घटना को ही ले लीजिए.

बीते शनिवार ग्वालियर के फैमिली कोर्ट में एक दंपत्ति तलाक के लिए आया. ये पति पत्नी आपसी अनबन के चलते पिछले दो सालो से अलग अलग रह रहे थे. इनका एक बेटा भी हैं जो अपनी माँ के साथ रह रहा था. ऐसे में पिता की मांग थी कि वो बेटे को अपने पास रहना चाहता हैं. इस मामले को लेकर दोनों हस्बैंड वाइफ की काउंसलिंग हुई जिसके बाद मामला पूरा ही पलट गया.

अतिरिक्त कुटुंब न्यायाधीश हितेंद्र सिंह सिसौदिया ने दोनों पति पत्नी को इस मामले में ऐसी समझाईश दी कि दोनों ने अपने दिमाग से तलाक की बात ही निकाल दी. इतना ही नहीं जज महोदय की बातें सुनने के बाद पति पत्नी ने अब साथ में रहने का फैसला किया हैं. दरअसल जज साहब ने दोनों से कहा कि आप लोगो की लड़ाई का सीधा असर बेटे के ऊपर पड़ेगा. आपके झगड़े की वजह से इस बेचारे का भविष्य खराब हो जाएगा. एक बच्चे को माँ और पिता दोनों की जरूरत होती हैं. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप दोनों अपने बच्चे के लिए मतभेद सुलझा लो और एक दूजे के हो जाओ.

जज की ये बातें सुन दोनों इतने ज्यादा भावुक हो गए कि इनकी आँखों से आंसू बहने लगे. इसके बाद दोनों के डिसाइड किया कि अब से हम अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर साथ रहेंगे और अपने बच्चे का उज्वल भविष्य बनाएंगे. जज की समझाईस के बाद पति पत्नी के एक दुसरे से माफ़ी मांगी और अपनी अपनी गलतियाँ भी स्वीकार की. इसके बाद दोनों ने एक दुसरे को फूल माला पहना दी और गले मिल सभी मन मुटाव दूर कर लिए. दोनों ने जज के सामने ही कसम खाई कि आज के बाद वे कभी आपस में लड़ाई नहीं करेंगे.

इस प्रकार एक समझदार जज की वजह से एक शादी टूटने से बच गई. इसके साथ ही दोनों के बच्चे का भविष्य भी सुरक्षित हो गया. इस मामले को जिसने भी सूना वो जज साहब की तारीफ़ करने लगा. वैसे हमारा भी यही मानना हैं कि यदि पति पत्नी के बीच झगड़े बहुत मामूली हो या बात बातचीत से सुलझ सकती हो तो तलाक जैसा बड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए. तलाक सिर्फ उन्ही हालातों में सही होता हैं जब बात हद से ज्यादा बाहर निकल जाती हैं. वैसे इस पुरे मामले को आप किस प्रकार देखते हैं हमें अपनी राय कमेंट में जरूर बताए.

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