अध्यात्म

चाणक्य नीति: जिस जगह पर ये 5 चीजें मौजूद ना हो, ऐसे स्थान पर कभी नहीं रहना चाहिए

दुनिया के सबसे बड़े और महान नीतिज्ञ चाणक्य ने अपनी नीतियों के द्वारा जीवन को लेकर बहुत सारे नियम और बातें बताई थी. चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियां और ज्ञान मनुष्य के जीवन को सरल और सुगम बनाने में मदद करते हैं. चाणक्य ने अपनी अपनी नीति में बताया था कि इन 5 जगहों पर कभी भी नहीं रहना चाहिए. इन जगहों पर रहने से मनुष्य को कभी सम्मान नहीं मिलता है और हमेशा डर का माहौल बना रहता है. हमें हमेशा उस स्थान पर रहना चाहिए जहां पर सभी प्रकार के साधन मौजूद हों.और एक स्वस्थ वातावरण हो. जिस जगह आप अपने परिवार के साथ सुरक्षित और सुख पूर्वक जीवन बिता सकें. आज हम आपको बताने जा रहे हैं चाणक्य ने कौन-कौन सी जगहों के बारे में बताया है जहां पर नहीं रहना चाहिए.

चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह पर रोजी रोटी का कोई साधन मौजूद ना हो या आजीविका या व्यापार करने की स्थिति ना हो ऐसी जगह पर कभी भी नहीं रहना चाहिए. बिना आजीविका के इंसान अपना जीवन सही तरीके से नहीं बिता सकता है और ना ही अपने परिवार का सही तरीके से पालन पोषण कर सकता है. इसलिए हमेशा ऐसी जगह पर रहना चाहिए जहां पर आप व्यापार कर सके या आजीविका का कोई साधन मौजूद हो.

चाणक्य ने कहा है कि कभी भी ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए जहां पर रहने से आपको डर लगे या यहां पर लोगों के अंदर समाज या कानून का डर ना हो. ऐसी जगह पर रहने से आपके और आपके परिवार की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. इसलिए हमेशा ऐसी जगह पर रहना चाहिए जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कानून ना तोड़ कर बल्कि दूसरों का हित चाहता हो.

चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह पर लोग लाज की भावना ना हो ऐसे स्थान पर कभी नहीं रहना चाहिए. ऐसी जगह पर रहने से सम्मान नहीं मिलता है. जिस जगह लोगों के मन में ईश्वर, लोक, परलोक के लिए आस्था होती है वहीं पर सामाजिक आदर का भाव भी होता है. जिस जगह समाज मर्यादित होता है वहीं पर संस्कार का विकास होता है. इसलिए हमेशा उस जगह पर रहना चाहिए जहां लोक लाज की भावना हो, तभी कोई व्यक्ति सही तरीके से विकास कर सकता है.

चाणक्य ने कहा है जिस जगह पर परोपकारी लोग ना रहते हो या जिन लोगों के अंदर त्याग की भावना ना हो वहां पर कभी नहीं रहना चाहिए. ऐसी जगह पर रहने से कष्ट प्राप्त होता है. हमेशा ऐसे स्थान पर रहना चाहिए जहां लोगों के मन में कुशलता और परोपकार की भावना मौजूद होती है. क्योंकि परोपकारी मनुष्य हमेशा दूसरों की भलाई के लिए कार्य करता है. और हमेशा दूसरों के हित के बारे में ही सोचता है.

चाणक्य ने सबसे अंत में अपनी नीति में बताया है जहां पर लोग दान देना ना जानते हो या जहां पर लोगों के मन में दान देने की भावना ना हो ऐसी जगह पर कभी नहीं रहना चाहिए. दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दान देने से अंतरात्मा भी पवित्र हो जाती है. दान देने की भावना लोगों को एक दूसरे के प्रति सुख दुख में काम आने की प्रेरणा देती है. जिस जगह पर ऐसी भावना ना हो वह कभी नहीं रहना चाहिए.

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