दिलचस्प

एक कौए ने बाज की तरह बनने की कोशिश की और खरगोश का शिकार करने लगा, लेकिन जैसी है उसने…

कथा के अनुसार एक बेहद ही बड़ा पहाड़ हुआ करता था। इस पहाड़ के ऊपर एक बाज ने अपना घर बना रखा था। इस पहाड़ की तराई पर एक पेड़ हुआ करता था और उस पेड़ पर एक कौआ रहता था। ये कौआ रोज बाज को देखता था और बाज की तरह बनने की कोशिश करता था। बाज बेहद ही तेज था और चलाकी से अपना शिकार पकड़ा करता था। कौआ जिस पेड़ पर रहता था उस पेड़ के पास ही खरगोश रहा करते थे और बीच-बीच में अपने घर से निकलकर खरगोश खाने की तलाश करते थे। जब भी ये खरगोश बाहर आते थे। तो बाज तुरंत इनमें से एक खरगोश को पकड़ लेता था और ऊंची उड़ान भर खरगोश को पहाड़ी के ऊपर ले जाता था और उन्हें मारकर खा लेता था।

बाज को हर तीसरे दिन इस तरह से खरगोश का शिकार करता देख कौआ बेहद ही हैरान होता था और यही सोचता था कि वो पूरे दिन मेहनत करता है तब जाकर उसे खाने के लिए मुश्किल से कुछ मिल पाता है। और ये बाज बिना ज्यादा मेहनत किए अपने खाने का इंतजाम कर लेते है। इसे हर तीसरे दिन खाने के लिए खरगोश मिल जाता है। एक दिन फिर कौए के सामने बाज एक खरगोश को पकड़ता है और उसे उठाकर पहाड़ी पर ले जाता है। ये देखकर कौआ अपना मन बना लेता है कि वो भी अब से केवल बाज की तरह ही शिकार करेगा और खरगोशों का ही भोजन किया करेगा।

 

दूसरे दिन कौआ खरगोश को पकड़ने की तैयार में लग जाता है और पेड़ पर बैठकर खरगोश के बार निकलने का इंताजर करता है। वहीं जैसे ही एक खरगोश बाहर निकलता है तो कौआ बाज से पहले ही आकर खरगोश को दबोच लेता है और बाज की तरह खरगोश को उठाकर पेड़ पर ले जाने की कोशिश करता था। लेकिन कौआ जैसे ही खरगोश को उठाता है तो उसके पंजे खरगोश का बोझ नहीं सहन कर पाते हैं और खरगोश कौए के पंचों से निकल कर नीचे गिर जाता है। जबकि कौआ पहाड़ से टकरा जाता है और उसे बेहद ही चोट लग जाती है।

कौए को ये हरकत करता देख बाज उसके पास जाता है और उसे कहता है कि तुम ये जरूर देखते हो कि मैं खरगोश का शिकार करता हूं। लेकिन कभी भी तुम्हें ये नहीं देखा की मैं किस तरह से खरगोश को पकड़ता हूं। हम दोनों ताकत और आकार के मामले में बेहद ही अलग हैं। मेरे पंजे अधिक बोझ उठा सकते हैं लेकिन तुम्हारें पंजे खरगोश जैसे जानवर का बोझ सहन नहीं कर सकते हैं। इसलिए मेरी तरह बनने की जगह तुम अपने दिमाग से काम लेकर शिकार किया करो।। बाज की बात सुनकर कौए को समझ आ जाता है कि हम अक्सर औरों की देखकर उनकी तरह बनने की कोशिश करते हैं जो कि गलत है। जैसे हम होते हैं हमें वैसे ही रहना चाहिए और किसी की भी नकल नहीं करनी चाहिए।

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