अध्यात्म

जानिये क्या है वजह की मंदिर में प्रवेश करने से पहले बाहर खोले जाते हैं जूते और चप्पल

मंदिर में जाकर लोग भगवान के सामने माथा टेका करते है और भगवान की पूजा करते है। हमारे देश के हर कोने में मंदिर बनें हुए हैं और हर एक मंदिर किसी ना किसी भगवान को समर्पित है। मंदिरों में जाने से कुछ नियम भी जुड़े होते हैं और जो भी लोग मंदिरों में जाया करते हैं। उन्हें इन नियमों का पालन करना होता है। इन्हीं नियमों में से एक नियम मंदिर के बाहर जूते और चप्पल खोलने का भी है। जूते और चप्पल खोलने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करने की अनुमित दी जाती है।  क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर क्यों मंदिरों में केवल नंगे पैर ही प्रवेश किया जाता है और मंदिर के बाहर ही क्यों जूते चप्पल खोले जाते हैं।

तो इस वजह से मंदिर के बाहर उतारे जाते हैं जूते और चप्पल

मंदिर होता है पवित्र

मंदिर एक पवित्र स्थल होता है, इसलिए जूते और चप्पलों को मंदिर के अंदर ले जाना वर्जित माना जाता है। जूते और चप्पल पहनकर अगर मंदिर में प्रवेश कर लिया जाए तो मंदिर की पवित्रता खराब हो जाती है।

होती है नकारात्मक ऊर्जा

जूते और चप्पलों से नकारात्मक ऊर्जा जुड़ी होती है और इनका नाता पाताल से माना जाता है। दरअसल जूते और चप्पलों को बनाने में रज और तम धातु का प्रयोग किया जाता है और ये दोनों धातुएं पाताल से आने वाली नकारात्मक ऊर्ज़ा को धरती से मिलाने का कार्य करती हैं।

मंदिर का वातावरण रहे साफ

मंदिर का वातावरण एकदम शुद्ध होता है। वहीं जब हम जूते और चप्पल पहनकर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो इनमें मौजूद डस्ट पार्टिकल मंदिर के वातावरण को खराब कर देते हैं। इसलिए जूते और चप्पल मन्दिर के बाहर ही खोले जाते हैं।

भगवान का आदर करते हैं

मंदिर में हम प्रवेश करते समय अपने जूते और चप्पल बाहर उतार देते हैं और शुद्ध शरीर के साथ भगवान के सामने जाकर अपना माथा टेकते हैं। मंदिर के बाहर चप्पल को उतारना यानी अपने से जुड़ी अशुद्धता को मंदिर के बाहर छोड़ना दर्शाता है।

सच्चे मन से होती है पूजा

हमेशा शुद्ध शरीर के साथ मंदिर में पूजा की जानी चाहिए। जब हम नंगे पैर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में आ जाती है और दिमाग से सभी बुरा तरह के विचार निकल जाते हैं और मन पूरी तरह से भगवान को समर्पित हो जाता है।

शास्त्रों में माना है वर्जित

शास्त्रों में साफ तौर पर लिखा गया है कि जब भी हम मंदिर में या भगवान के किसी भी स्थल में प्रवेश करते हैं तो हमें नंगे पैर ही जाना चाहिए और जूते और चप्पल दूर खोल देने चाहिए। ताकि ये अशुद्ध चीजें भगवान के पास के वातावरण को प्रदूषित ना कर दें।

मंदिर में प्रवेश करने से जुड़े अन्य नियम

जूते और चप्पल के अलावा जब  भी हम मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो हमारा सिर कपड़े से ढका होना चाहिए। वहीं जूते और चप्पल उतारने के बाद अपने हाथों को पैरों को अच्छे से पानी से साफ करना चाहिए और उसके बाद ही पूजा को शुरू करना चाहिए।

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