राजनीति

राष्ट्रपति शासन कब और किन परिस्थितियों में लागू होता हैं, जाने महाराष्ट्र में अब क्या होगा

इन दिनों महाराष्ट्र का राजनितिक ड्रामा बहुत सुर्खियाँ बटोर रहा हैं. सभी की निगाहें इसी बात पर टिकी हैं कि आखिर यहाँ किस पार्टी की सरकार बनेगी? लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि सभी पार्टियाँ किसी नतीजें पर नहीं पहुंची और अपनी सरकार बनाने में फ़ैल रही तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता हैं. ऐसे में हम इससे जुड़े हर सवाल का जवाब आपको विस्तार से देंगे. जैसा कि आप सभी जानते हैं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजें 24 अक्टूबर को आ गए थे. हालाँकि कोई भी पार्टी अभी तक बहुतमत पाकर अपनी सरकार नहीं बना पाई हैं.

इस मामले में सबसे पहले राज्यपाल ने भाजपा को एक बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया था हालाँकि शिवसेना से मतभेद के कारण वे इस काम में असफल रही. इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को मौका दिया तो वो भी अपने विधायकों का बहुतमत में समर्थन पत्र सौंपने में असफल रही. इसके बाद कांग्रेस को मौका मिला क्योंकि उसने एनसीपी के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ा था. अब यदि कांग्रेस सरकार बनाती भी हैं तो उन्हें दुसरे दल के साथ मिलकर ही बनाना होगा. हालाँकि इस मसले पर कांग्रेस की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हैं. ऐसे में राज्यपाल के पास अंतिम विकल्प राष्ट्रपति शासन लागू करने का बचता हैं.

अब सबसे बड़ा सवाल जो कई लोगो के मन में उठ रहा हैं कि इस राष्ट्रपति शासन के क्या मायने हैं और इसे कब और किन परिस्थितियों में लगाया जाता हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राष्ट्रपति शासन का अर्थ हैं कि किसी भी राज्य का पूर्ण कंट्रोल राष्ट्रपति के हाथो में चला जाता हैं. हालाँकि प्रशासनिक तौर पर केंद्र सरकार ए राज्य के राज्यपाल को सभी कार्यभार सौपती हैं. बता दे कि संविधान के आर्टिकल 352, 356 और 365 में राष्ट्रपति शासन से संबंधित कुछ प्रावधानों का जिक्र भी हैं.

इन स्थितियों में लगता हैं राष्ट्रपति शासन

  • आर्टिकल 356 के मुताबिक यदि राष्ट्रपति को लगता हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही हैं तो वे उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं.
  • वहीं आर्टिकल 365 ये कहता हैं कि यदि राज्य सरकार केंद्र सर्कार के संवैधानिक निर्देशों को नहीं मानती या उना उलंघन करती हैं तो राष्ट्रपति शासन घोषित किया जा सकता हैं.
  • आर्टिकल 352 की बात करे तो आर्थिक आपातकाल की स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लागू करने का धिकार राष्ट्रपति के पास होता हैं.
  • चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत ना मिलने पर भी इसे लगाया जा सकता हैं.
  • बहुतमत प्राप्त करने वाली पार्टी सरकार बनाने से इंकार कर दे और राज्यपाल को सरकार बनाने लाया कोई अन्य दल ना मिले तो इसे लागू कर सकते हैं.
  • इसी तरह यदि राज्य सरकार विधानसभा में हार के बाद इस्तीफा दे एवं दूसरा दल सरकार ना बना पाए तो भी ये लागू होता हैं.
  • यदि कोई राज्य जान भूजकर आंतरिक अशांति को भड़काए.
  • यदि राज्य सरकार संवैधानिक दायित्यों का पालन ना करे.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में सबसे पहला राष्ट्रपति शासन 1951 में पंजाब में लगा था. अभी तक इंडिया में 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है. इसके लागू होने के 2 महीने के अंदर संसद के दोनों सदनों को अनुमोदन करना आवश्यक होता हैं. दोनों सदनों का अनुमोदन होता हैं तो ये राष्ट्रपति शासन छह महीने तक चलाया जा सकता हैं.

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