अध्यात्म

बेहद ही कल्याणकारी है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, इसे पढ़ने से हो जाती है हर कामना पूर्ण

अगर आपके जीवन में कोई परेशानी चल रही हैं और आप उस परेशानी से निजात पाना चाहते हैं। तो आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ लें। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने से हर परेशानी का हल निकल जाता है। दरअसल शस्त्रों में दुर्गा सप्तशती को बेहद ही शक्तिशाली पाठ माना गया है और दुर्गा सप्तशती पाठ पढ़ने से जीवन की हर कठिनाई को दूर किया जा सकता है। हालांकि दुर्गा सप्तशती पाठ काफी कठिन होता है और इस पाठ को पढ़ना आसान नहीं हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

जो लोग दुर्गा सप्तशती पाठ को नहीं पढ़ सकते हैं। वो लोग सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) को पढ़ लें। इस पाठ को पढ़ने से उतना ही लाभ हासिल होता है जीतना की दुर्गा सप्तशती पाठ को पढ़ने से मिलता है।

क्या है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़ा हुआ है और ये स्तोत्र शिव जी और मां पार्वती के बीच हुए एक संवाद पर आधारित है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का वर्णन रूद्रयामल में किया गया है और रूद्रयामल एक ग्रंथ है। ऐसा माना जाता है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को खुद भगवान शिव द्वारा लिखा गया है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना फलदायक होता है और आप इस पाठ को जरूर पढ़ें।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने से मिलने वाले लाभ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के रचयिता भगवान शंकर है और शंकर भगवान के अनुसार, जो लोग सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करते हैं। उन लोगों को देवी कवच, ध्यान, पूजा, न्यास करने की आवश्यक नहीं होती है। केवल कुंजिका पाठ को पढ़ सारे दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में यश की प्राप्ति होती है। इस पाठ को पढ़ने से मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और दुर्गा मां हर कामना को पूर्ण कर देती हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ये मंत्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा लेकिन बेहद ही कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि ये मंत्र सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) का ही मंत्र है। इस मंत्र को बेहद ही चमत्कारी मंत्र माना जाता है और इस मंत्र का जाप करने से कष्ट नष्ट हो जाते हैं। वहीं ये संपूर्ण मंत्र इस तरह से है-

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

कैसे पढ़ें इस स्तोत्र को

  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को बेहद ही सावधानी के साथ पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस स्तोत्र को पढ़ते हुए अगर कोई भूल हो जाए तो आपको इसका फल नहीं मिलता है। इस स्तोत्र को आप चाहें तो रोज पढ़ सकते हैं या इसे हफ्ते में एक दिन भी इसे पढ़ा जा सकता है।
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने से पहले आप स्नान कर लें।
  • पूजा घर में मां की चौकी के सामने बैठकर इस स्तोत्र को पढ़ें। इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए आप सबसे पहले दो दीपक जला लें। जिनमें से एक दीपक आप सरसो के तेल का जलाएं और दूसरा घी का।
  • घी के दीपक को आप दायें तरफ रखें और सरसो के तेल के दीपक को बाएं तरफ।
  • दीपकों को जलाने के बाद, आप ये स्तोत्र क्यों पढ़ रहे हैं। इस चीज का संकल्प लें।
  • संकल्प लेने हेतु आप अपने हाथ में कुछ चावल, फूल और जल ले लें। फिर अपने मन में ये पाठ पढ़ने से जुड़ा संकल्प बोल दें। संकल्प बोलने के बाद आप हाथ में लिए फूल, चावल और जल को मां के चरणों पर रख दें। फिर आप कुछ फूल लेकर उन्हें दीपक को चढ़ा दें।
  • इसके बाद आप मां को अनार का भोग लगाएं और मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें। फूल अर्पित करने के बाद इस पाठ को पढ़ना शुरू करे दें।
  • ये पाठ पूरा पढ़ने के बाद आप मां की आरती करें और पाठ की किताब को चौकी पर रख दें।
  • आप इस पाठ को  1, 2, 3, 5, 7 और 11 संख्या में कर सकते हैं। आप चाहें तो एक दिन में दो बार भी इस पाठ कर सकते हैं।

सिद्धकुंजिका स्तोत्र पाठ पढ़ने का उत्तम समय

इस पाठ को रात के समय पढ़ना ही उत्तम माना जाता है। इसलिए आप इस पाठ को रात के समय ही पढ़ा करें। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को आप रात के 9 बजे पढ़ना शुरू कर सकते हैं। ये पाठ दस मिनट में समाप्त हो जाता है। इस पाठ को आप रात के 11.30 बजे के बाद ना पढ़ें। इसके अलावा आप इस पाठ को पढ़ते समय केवल लाल रंग के आसन पर ही बैठें।

इच्छा पूर्ण करने के लिए कितनी बार करें ये पाठ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) को कितनी बार पढ़ाया जाए ये आपकी मनोकामान पर आधरित होता है और मनोकामना के आधार पर ही इस पाठ को किया जाता है –

विद्या प्राप्ति के लिए

जो लोग बुद्धिमान दिमाग चाहते हैं और उच्च शिक्षा हासिल करने की इच्छा रखते हैं। वो लोग सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पांच बार पढ़ें और इस पाठ को पूरा करने के बाद चावल के दाने लेकर उन्हें अपने ऊपर से तीन बार घूमा दें और इन्हें किताबों में रख दें।

यश-कीर्ति हासिल करने के लिए

जो लोग यश और कीर्ति हासिल करने की इच्छा रखते हैं वो लोग इस पाठ को पांच बार पढ़ लें। इस पाठ को पूरा करने के बाद देवी को चढ़ाया गया लाल फूल अपने पास रख लें।

धन प्राप्ति के लिए

धन प्राप्ति के लिए आप इस पाठ को 9 बार पढ़ लें और पाठ पूरा करने के बाद दीपक के अंदर थोड़े से सफेद तिल डाल दें। इसी तरह से कर्जे से मुक्ति पाने के लिए आप इस पाठ को सात बार करें।

रोजगार के लिए

जिन लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है वो लोग इस पाठ को सात बार पढ़ लें और ये पाठ पूरा करने के बाद मां को एक सुपारी चढ़ा दें और इस सुपारी को फिर अपने पास रख लें।

घर की सुख-शांति के लिए

घर में सुख शातिं स्थापित करने हेतु आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को तीन बार करें। वहीं इस पाठ को शुरू करने से पहले मां को मीठा पान अपर्ति कर दें।

स्वास्थ्य के लिए

जिन लोगों की सेहत सही नहीं रहती है वो लोग इस पाठ को तीन बार करें और ये पाठ करने के बाद मां को नींबू चढ़ा दें। ऐसा करने से आपकी तबीयत सही हो जाएगी और रोगों से आपको मुक्ति मिल जाएगी.

सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् इस प्रकार है

शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥
अथ मन्त्रः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
इति मन्त्रः॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ॥४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे ॥
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥
इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती
संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ॥

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने से क्या लाभ मिलते हैं ये जानने के बाद आप इस पाठ को जरूर पढ़ना शुरू कर दें। इस पाठ को पढ़ने से आपके जीवन के तमाम दुख मां दुर्गा दूर कर देंगी।

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