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एक सिख लड़की की शादी में क्या क्या होता हैं? जानिए शुरू से अंत तक की सभी रस्में

बचपन में गुड्डे गुड़ियों से हम शादी शादी का खेल खेला करते थे. फिर बड़े हुए तो इस रिश्ते की गहराई पता चली. हर धर्म में शादी को लेकर अलग मान्यता और रीती रिवाज होते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक सिख लड़की की शादी में होने वाली रस्मों से रूबरू कराने जा रहे हैं. सिख धर्म में शादी को भगवान से एक कदम और करीब आना माना जाता हैं. सिख शादी दो आत्माओं का मिलन होता हैं जो कि गुरु ग्रन्थ साहिब जी की उपस्थिति में होता हैं. सिख मेरिज सेयरमनी को आनंद कराज (आनंदित एकजुटता) भी कहा जाता हैं. इसे 1909 से शादी के लिए लीगल करार दिया गया हैं. पहले की शादियों में सिख लड़कियां पटियाला सूट पहना करती थी लेकिन लेटेस्ट ट्रेंड को देखते हुए अब वे लहंगा या अन्य परिधान भी धारण कर लेती हैं.

रोका या थाका

ये शादी के पहले रिश्ता तय करने की रस्म को कहा जाता हैं. इसमें दूल्हा और दुल्हन के परिवार वालो की मर्जी से शादी तय होती हैं. इसमें दुल्हन का पिता दुल्हे के सिर पर तिलक लगाकर उसे गिफ्ट और सगुन के रूप में कुछ पैसे देता हैं. उधर लड़की को गिफ्ट और सगुन दुल्हे की माँ देती हैं.

सगाई

इसमें दूल्हा दुल्हन एक दुसरे को अंगूठी पहनाते हैं. इसके पहले सिख गुरु प्रार्थना बोल Kurmai रस्म करते हैं. इसमें दुल्हन का पिता दुल्हे को कड़ा, किरपान (वीरता का प्रतिक छोटा चाक़ू), कंघा (जिसे सिख अपनी पगड़ी में रखते हैं) और सुंदर गुटका (सिख प्रार्थनाओं की पवित्र किताब) देते हैं. इसके साथ ही दुल्हे की गर्दन में लाल स्कार्फ बाँध उसके हाथ में सूखे खजूर रखे जाते हैं.

चुन्नी चढ़ाई

ये एक भावुक रस्म होती हैं जिसमे दुल्हे की माँ अपनी होने वाली बहू के सिर के ऊपर फुलकारी दुपट्टा उड़ाती हैं. साथ ही दुल्हन को गहने और चूड़ियाँ भी पहनाई जाती हैं. वहीं दुल्हे का पिता बहू की झोली में ड्राई फ्रूट्स डालता हैं.

मेहंदी

ये रस्म शादी के एक दिन पहले होती हैं. इसमें दुल्हन के हाथो और पैरो में मेहंदी लगाई जाती हैं. इसी मेहंदी में दुल्हे का नाम भी छिपा होता हैं जिसे उसे अपनी शादी की पहली रात ढूंढना होता हैं.

चूड़ा रस्म

शादी वाले दिन ये सबसे पहली रस्म होती हैं जिसमे दुल्हन के मामा मामी उसे 21 लाला उर सफ़ेद चूड़ियाँ गिफ्ट करते हैं. ये रस्म सिख गुरु की निगरानी में होती हैं जो इस चूड़े को दूध और गुलाब की पंखुड़ी में डालता हैं और फिर दुल्हन की कलाई पर पहनाया जाता हैं. इसके बाद दुल्हन की बहन अपनी सिस्टर की कलाई पर कलीरस (kaleeras, चूड़ी पर लटकने वाले झुमके) बांधती हैं.

गाना

इसमें गुरूजी दुल्हन के उलटे हाथ और पैर पर लाल धागा बांधते हैं. इसमें सात सुहागन महिलाएं सात गठाने बांधती हैं. ये दुल्हन को बुरे भाग्य से बचाता हैं.

मैया

इसमें दुल्हे का परिवार दुल्हन के लिए सोलह श्रृंगार लाता हैं. फिर उसे स्टूल पर पिता बालों में तेल लगाया जाता हैं. इस दौरान बाकी महिलाएं ट्रेडिशनल वेडिंग सांग गाती हैं जिन्हें badhaiya या tappe कहा जाता हैं.

वत्ना

इसमें दुल्हन के परिवार की सात सुहागन महिलाएं उसे हल्दी लगाती हैं और मीठे चावल खिलाती हैं.

घरोली

इसमें दुल्हन की भाभी नजदीकी गुरुद्वारा जाकर मिट्टी के पात्र (घरोली) में पवित्र जल लाती हैं. इसी जल से दुल्हन को नहलाया जाता हैं.

दुल्हन बनना

इसमें दुल्हन लाल या गुलाबी रंग का पंजाबी (पटियाला) सूट पहनती हैं. हालाँकि आज के जमाने में लहंगा पहना जाने लगा हैं. इसके साथ ही चूड़ा, कलीरे, मांग टिका और नेकलेस भी पहना जाता हैं.

मिलनी

ये ए तरह से शादी समारोह का स्वागत होता हैं जिसमे गुरुद्वारा के अंदर दुल्हन का परिवार दुल्हे के परिवार का वेलकम गिफ्ट्स, माला और गले मिलकर करता हैं. इसमें अधिकतर पुरुष ही शामिल रहते हैं.

दुल्हन की एंट्री

दुल्हन गुरूद्वारे के अंदर फूलों की चादर ओढ़े अपने भाई और बहन के साथ आती हैं. इसमें भाई चादर पकड़ता हैं जबकि बहन दुल्हन को दुल्हे के पास लेकर जाती हैं.

आनंद करज

मुख्य शादी की रस्म को ही आनंद करज कहा जाता हैं. इसमें दूल्हा और दुल्हन के दुसरे के समीप बैठते हैं और उनका मुंह गुरु ग्रन्थ साहिब जी की तरफ होता हैं. इस दौरान वाहेगुरु को अरदास ऑफर किया जाता हैं. इसके साथ दूल्हा दुल्हन को सिख सिद्धांतों के अनुसार उनके शादी के बाद के रोल और जिम्मेदारियां बतलाई जाती हैं. इसके बाद दूल्हा दुल्हन झुकते हैं और दुल्हन के पिता दुल्हे के कंधे पर भगवा रंग का स्कार्फ रखते हैं. इसका एक सिरा दुल्हन के हाथ में रखा जाता हैं.

लावन फेरे

लावार फेरे चार प्रार्थनाएं होती हैं जिन्हें तब बोला जाता हैं जब दूल्हा दुल्हन गुरु ग्रन्थ साहिब के आसपास फेरे लेते हैं. लावन की इन चार प्रर्थानों को प्यार की चार स्टेज भी कहा जाता हैं. इसमें पति पत्नी के प्यार और उनके भगवान के प्रति प्रेम के बारे में बताया जाता हैं. इस रस्म के अंत में सभी को कड़ा प्रदाद बांटा जाता हैं.

डोली

शादी रस्म समाप्त होने के बाद दुल्हन अपने ससुराल से दी गई ड्रेस पहनती हैं और अपने घर वालो को अलविदा कहती हैं.

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