विशेष

आखिर क्यों पीटे गए संजय लीला भंसाली! जानें – रानी पद्मिनी (पद्मावती) की पूरी कहानी

नई दिल्ली – बॉलीवुड निर्देशक संजय लीला भंसाली को रानी पद्मावती पर फिल्म बनाने के कारण करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया। करणी सेना का आरोप है कि भंसाली अपनी फिल्म में रानी पद्ममिनी (पद्मावती) के जीवन से जुड़े तथ्यों को  तोड़-मड़ोरकर पेश करने वाले हैं। गौरतलब है कि रानी पद्मिनी के बारे में राजस्थान के स्कुलों में पढ़ाया जाता है उन्हें देश का गौरव बताया जाता है। देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों को चित्तौड़गढ़ के किले में वह स्थान दिखाए, बताए और समझाए जाते हैं जहां पर सुल्तान खिलजी ने उन्हें देखा था। Story of padmawati.

आखिर कौन थीं पद्मावती –  

आज हम आपको रानी पद्मावती की कहानी बताने जा रहे हैं। रानी पद्मावती के बारे में कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इतिहास में इस नाम का कोई किरदार था ही नहीं बल्कि ये तो मात्र हिन्दी साहित्य ‘पद्मावत’ का एक काल्पनिक चरित्र थीं। आपको बता दें कि 16वीं शताब्दी में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखे गए पद्मावत में पद्मावती का जिक्र तो मिलता है लेकिन वे महज एक साहित्यिक किरदार थीं। इसका इतिहास से कोई लेना देना नहीं है।

 क्या कहती हैं पाठ्य पुस्तकें और लोग –

राजस्थान की पाठ्य पुस्तकों में और कई ऐतिहासिक पुस्तकों में रानी पद्मावती के जौहर की कहानियां पढ़ने को मिलती हैं। चित्तौड़ के किले में आने वाले पर्यटकों को पद्मावती के बारे में बताया जाता है। उन्हें वह स्थान दिखाए, बताए और समझाए जाते हैं जहां पर सुल्तान खिलजी ने उन्हें देखा था और जहां रानी पद्मावती ने महिलाओं के साथ जौहर किया था। लेकिन इस सब के बावजूद इतिहास में पद्मावत के आलावा कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है।

Story of padmawati

इतिहास में रानी पद्मावती की कहानी –

12वीं और 13वीं सदी में विस्तारवादी नीति के तहत अलाउदीन खिलजी ने सुंदर रानी पद्मिनी (Padmini or Padmavati) को पाने के लिए मेवाड़ पर आक्रमण किया। यह कहानी अलाउदीन के इतिहासकारों ने किताबो में लिखी थी ताकि वो राजपूत प्रदेशों पर आक्रमण को सिद्ध कर सकें, हालाकि कुछ इतिहासकार इस कहानी को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि यह कहानी मुस्लिमों ने राजपूतों को उकसाने के लिए लिखी थी।

इसी तरह से रानी पद्मावती और उनके जौहर को लेकर एक कहानी इतिहास में काफी प्रचलित है। जिसके अनुसार, रानी पद्मिनी के पिता  गंधर्वसेन ने जो सिंहल के राजा थे। उन्होंने रिवाज के अनुसार उसका स्वयंवर आयोजित किया। इस स्वयंवर में उसने सभी हिन्दू राजाओं और राजपूतों को निमंत्रण दिया। राजा रावल रतन सिंह भी पहले से ही शादी शुदा होने के बावजुद स्वयंवर में गये और स्वयंमर जीतकर पद्मिनी से विवाह किया। रानी पद्मिनी की सुन्दरता के बारे में सुनकर खिलजी के भीतर रानी पद्मिनी से मिलने की इच्छा जागी और उसने अपनी सेना को चित्तोड़ कूच करने को कहा।

तारीफ सुनने के बाद बेचैन सुल्तान खिलजी ने रानी पद्मिनी की देखने के लिए राजा रतन सिंह को संदेशा भेजा कि वह रानी पद्मिनी को अपनी बहन मानता है और उससे मिलना चाहता है। रानी ने इसके लिए शर्त कि वह अलाउदीन को पानी में परछाईं में अपना चेहरा दिखाएंगी। ऐसा कहा जाता है कि रानी पद्मिनी की सुंदरता को पानी में परछाईं के रूप में देखने के बाद अलाउदीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को अपना बनाने की ठान लिया और रतन सिंह को बंदी बना लिया। रतन सिंह की रिहाई की शर्त थी पद्मिनी।

खिलजी से बचने के लिए पद्मावती ने कर लिया जौहर –

रतन सिंह को  छुड़ाए जाने के बाद खिलजी ने गुस्से में आकर अपनी सेना को चित्तौड़गढ़ किले पर आक्रमण कर दिया। खिलजी की घेराबंदी से किले में खाद्य आपूर्ति धीरे-धीरे समाप्त हो गई। मजबूरी में रतन सिंह ने किले का द्वार खोलने का आदेश दिया। रतन सिंह की सेना खिलजी के लड़ाकों से हार गई और रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। यह देख रानी पद्मिनी (पद्मावती) ने चित्तौड़ की औरतों से कहा कि हमारे पास केवल दो विकल्प हैं। या तो हम जौहर कर लें या फिर विजयी सेना से निरादर सहें और उन्होंने सभी महिलाओं के साथ एक विशाल चिता में सारी औरतें कूद गईं और इस प्रकार दुश्मन बाहर खड़े देखते रह गए।

Back to top button