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अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप को झटका देते हुए मुस्लिम शरणार्थी का निर्वासन रोका!

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने कार्यकाल के पहले ही हफ्ते में अदालत से झटका लगा है. ट्रंप की ओर से सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के खिलाफ जारी किए गए विवादित आव्रजन आदेश को बाधित करते हुए कोर्ट ने एक आपात आदेश जारी कर दिया है. एक दिन पहले ट्रंप ने अमेरिका में ईरान, इराक, सीरिया, लीबिया, यमन, सूडान और सोमालिया के मुस्लिमों की अमेरिका में एंट्री पर बैन लगाई थी. यूएस के ब्रूकलिन में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज एन डोनेले ने शरणार्थियों के मुद्दे पर उनके शासकीय आदेश के एक हिस्से के पालन पर रोक लगा दी है.

ट्रंप के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन :

प्रतिबंध लागू होने के बाद से देश के बड़े हवाईअड्डों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर ट्रंप के आदेश के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. करीब दो हजार प्रदर्शनकारी न्यूयार्क के जॉन एफ केनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर एकत्रित हुए. इमिग्रेशन अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर करीब 11 शरणार्थियों को हिरासत में लिया था जिसके बाद टर्मिनल 4 के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

ट्रंप के फैसले के खिलाफ मुकदमा :

न्यूयार्क में अमेरिकी जिला न्यायाधीश एन डोनले ने यह आपात आदेश अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (एसीएलयू) की ओर से दायर याचिका पर सुनाया है. एसीएलयू ने यह याचिका आव्रजन प्रतिबंध लागू हो जाने पर जॉन एफ कैनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर दो इराकी पुरुषों को हिरासत में लिए जाने के कारण दायर की थी.

गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर ने भी की आलोचना :

फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने शरणार्थियों पर रोक लगाने के ट्रंप सरकार के फैसले की आलोचना की है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा  है कि इस आदेश का असर गूगल पर भी पड़ेगा. भारतीय मूल के पिचाई तमिलनाडु से हैं. उनके मुताबिक ट्रंप के इस आदेश का असर 187 गूगल कर्मचारियों पर पड़ेगा. ट्विटर ने लिखा,‘ट्विटर के बनने में हर धर्म के अप्रवासियों की भूमिका है और हम उनके साथ हैं.’ फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने भी ट्रंप के इस आदेश का विरोध किया है. अपनी फेसबुक पोस्ट में जकरबर्ग ने कहा कि उनके पूर्वज जर्मनी, ऑस्ट्रिया और पोलैंड से अमेरिका आए थे. जबकि उनकी पत्नी प्रिस्सीलिया के माता-पिता चीन और वियतनाम से. अमेरिका अप्रवासियों का देश है और सब को इस पर गर्व होना चाहिए.

ट्रंप ने शुक्रवार को सुनाया था फैसला :

ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के एक सप्ताह बाद ही इस विवादास्पद आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत अमेरिका की सीमाएं दुनिया भर के शरणार्थियों के लिए बंद कर दी गईं. साथ ही 7 मुस्लिम देशों के लोगों की अमेरिका में एंट्री अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई है.

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