अध्यात्म

इस रविवार हर मनोकामना होगी पूर्ण, बस सूर्यदेव की पूजा में करना होगा ये काम

कहते हैं सूर्यदेव की पूजा पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में अच्छा भाग्य, तेज़ बुद्धि, और मान सम्मान की प्राप्ति होती हैं. जो व्यक्ति एक बार सूर्यदेव को प्रसन्न करने में कामयाब हो जाता हैं उसकी किस्मत चमकने लगती हैं. सूर्यदेव को खुश करने के लिए जल चढ़ाने की पुराने परंपरा हैं. सूर्यदेव को जल्द चढ़ाने का अपना एक अलग महत्व हैं. खासकर रविवार के दिन इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता हैं. इस दिन सुर्यदेव भक्तों की जल्दी सुनते हैं. लेकिन 16 जून को रविवार के साथ साथ ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा भी पढ़ रही हैं. ऐसा अनोखा संयोग बहुत ही कम देखने को मिलता हैं. इस दिन विवाहित महिलाओं के द्वारा वट सावित्री व्रत करने का भी रिवाज हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा करना बहुत शुभ होता हैं. इसके अतिरिक्त इस बार रविवार और पूर्णिमा का जो अनोखा संगम बन रहा हैं उसका आपको जरूर लाभ उठाना चाहिए. इस दिन एक ख़ास विधि से सूर्य को जल चढ़ाने और मंत्रों का उच्चारण करने से ढेर सारे लाभ प्राप्त होते हैं.

ऐसे में आज हम आपको एक ख़ास विधि बताने जा रहे हैं. यदि आप इसके अनुसार रविवार 16 जून को पूजा पाठ करते हैं तो आपको सौभग्य, प्रतिष्ठा, ज्ञान और धन की प्राप्ति होगी. इस उपाय को करने के लिए आप रविवार और पूर्णिमा के योग वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाए और स्नान वगैरह कर ले. इसके बाद ताम्बे का एक लौटा ले और उसमे स्वच्छ जल, चावल और फूल इत्यादि डाल ले. अब बिना पादुकाओं के सूर्यदेव के सामने खड़े हो जाए और इन्हें अर्घ्य दें. ऐसा करते समय आपको एक ख़ास सुर्य मंत्र का उच्चारण करना होगा जो इस प्रकार हैं – ऊँ सूर्याय नम:. जब तक आपके लौटे का जल समाप्त ना हो जाए तब तक आप इस मंत्र का उच्चारण करते रहिए.

जब ये काम हो जाए तो इसके बाद आपको सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करना होगा. इस पाठ को करने समय आप शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की मनोकामना कर सकते हैं. पाठ समाप्त होने के बाद आप धुप और दीपक प्रज्वलित कर सूर्यदेव की आरती करे. आरती समाप्त होने के बाद आप आने ही स्थान पर सात बार घूम सूर्यदेव को परिक्रमा दे. वैसे इस दिन पूजा के अतिरिक्त दान धर्म करने का भी अपना महत्व हैं. तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन जैसी चीजें दान करने से घर में बरकत हमेशा बनी रहती हैं. इन चीजों के अलावा आप अपनी इच्छा से कुछ और भी दान कर सकते हैं. इस दिन सूर्यदेव के नाम का उपवास भी रखना चाहिए. इससे वे और भी खुश हो जाते हैं. उपवास में आप फलाहार ले सकते हैं.

यदि आप इस पूजा विधि को पूर्ण नियम के साथ करते हैं तो आपको कुछ ही दिनों में इसके लाभ देखने को मिल जाएंगे. याद रहे इस पूजा का अधिक महत्व तभी होता हैं जब रविवार और पूर्णिमा दोनों एक ही दिन पड़ती हैं. वैसे बाकी दिनों में भी आप इस पूजा विधि को अपना सकते हैं लेकिन उतना लाभ नहीं होगा.

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