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बेटी की डिलीवरी पर ये डॉक्टर नहीं लेती हैं फीस, बंटवाती हैं पूरे हॉस्पिटल में मिठाई

दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अच्छे-अच्छे काम करके सुर्खियां बटोरते हैं और अपनी पब्लिसिटी भी नहीं होने देते. मगर बहुत से लोगों को अच्छे काम करने के साथ-साथ फेमस होने का भी शौक होता है लेकिन इनमें कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो बिना किसी मतलब के लोगों की मदद करते हैं. कुछ ऐसा ही कर रही हैं एक महिला डॉक्टर जिन्होंने अपने अस्पताल में लड़की के जन्म पर एक विशेष सुविधा दी हुई है और इसमें गरीब लोगों की मदद भी की जाती है. उन्हें ये काम करने में आनंद आता है और उन्हें लगता है डॉक्टर बनकर उन्होंने यही अच्छा काम किया है. दरअसल बेटी की डिलीवरी पर ये डॉक्टर नहीं लेती हैं फीस, इसके अलावा वहां आने वाली हर गरीब गर्भवती की पैसों से भी मदद की जाती है.

बेटी की डिलीवरी पर ये डॉक्टर नहीं लेती हैं फीस

तमाम सरकारी पहल, स्कूली शिक्षा और सामाजिक शिक्षा और सामाजिक चर्चाओं के बीज आज भी हमारा देश बेटा और बेटी के बीच के में फर्क रखता है. बहुत से लोग आज भी गर्भवती महिलाओं को मजबूर करते हैं कि वो अपना गर्भपात करा दें और नाले या कचरे में भ्रूण पड़े मिलते हैं. मगर ऐसे में भी बहुत से लोग हैं जो बेटियों पर जान छिड़कते हैं और उन्ही में से एक हैं डॉ. शिप्रा धर जिन्होने बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की और वाराणसी में पहाड़िया क्षेत्र में अपना नर्सिंग होम चलाती हैं. कन्या भ्रूण हत्या रोकने और लड़कियों के जन्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होने एक मुहीम चलाई है जिसमें वो अपने नर्सिंग होम में होने वाली बेटी के जन्म के समय पूरे अस्पताल में मिठाई बंटवाती हैं और जन्म होने पर कोई भी डिलीवरी चार्ज नहीं लेती हैं. उनका ऐसा करने के पीछे सिर्फ यही मकसद है कि लोग बेटी और बेटे को समान समझें ना कि बेटी होने पर उसे गर्भ में ही मरवाने चले आएं.

डॉ. शिप्रा धर श्रीवास्तव कहती है, ‘लोगों में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच आज भी मौजूद है. मुझे अक्सर ऐसी बातें भी सुनने को मिलती हैं कि मैडम ई का कइलू, पेटवो चिरलू आउर बिटिया निकललु…जब परिजनों को पता चलता है कि बेटी हुई है तब वे मायूसी वाले चेहरे बनाते हैं. कई बार तो लोग गरीबी के कारण रोने लगते हैं और मैं इस सोच को बदलने की कोशिश कर रही हूं.’ ऐसा बताया जाता है कि इन्होने अपने नर्सिंग होम में अब तक 100 बेटियों का जन्म करवाया है और कोई चार्ज भी नहीं लिया है.

प्रधानमंत्री कर चुके हैं इनके काम का सम्मान

डॉ. शिप्रा धर के अस्पताल की इस मुहीम के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब इस बात का पता चला तो वो बहुत प्रभावित हुए. मई, 2018 में जब मोदी वाराणसी गए थे तब डॉ. शिप्रा उनसे मिली और पीएम ने मंच पर अपने संबोधन में देश के सभी डॉक्टरों से उन्होने प्रार्थना की कि हर हमीने की नौ तारिख को जन्म लेने वाली बच्चियों से कोई भी फीस नहीं लें. इससे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की मुहिम को बल मिलेगा. डॉ. शिप्रा का कहना है कि सनातन काल में बेटियों को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है और आज देश तकनीक की राह में आगे बढ़ रहा है लेकिन इसके बाद भी भ्रूण जैसे कुकृत्य एक सभ्य समाज के लिए अभिशाप है.

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