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इन जानवरों का ऐसा विचित्र व्यवहार देख कर आप खुद भी रह जाएंगे हैरान

इस दुनिया में जानवरों की असंख्य प्रजातियाँ पायी जाती हैं, बहुत सारे तो ऐसे जानवर भी हैं जिसके बारे में अब तक हमे कोई जानकारी ही नहीं है और जिन जानवरों के बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं और उन्हें कहीं न कहीं देखने का मौका हमें जरूर मिला है, उनके कुछ विचित्र हरकतों की जानकारी शायद ही हमे है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ जानवरों के बारे में बताएँगे और इसके साथ ही हम आपको उनके अजीबो गरीब हरकतों से भी रुबरु करवाते हैं जिसे जानकार आप खुद भी रह जाएंगे हैरान।

आंट डैथ स्प्यराल

सबसे पहले हम बात करते हैं आंट डैथ स्प्यराल चींटियों के बारे में, जैसा की हम सभी जानते हैं चींटियों का अपना एक परिवार समूह होता है और ये हमेशा झुंड में चलती हैं। झुंड मे चलने का एक बहुत बड़ा कारण यह होता है कि चींटियों कि आँखें नहीं होती जिस कारण यह देख नहीं पाती। चींटियाँ अपने भोजन की तलाश में-दूर-दूर तक जाती हैं और एक तरह का रसायन जिसे “फेरामोन”कहते हैं रास्ते में छोडती जाती हैं। यही रसायन के गंध से फिर सभी चींटियाँ अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच पाती हैं। ऐसे मे जब पहले स्थान पर चलने वाली चींटी अपना रास्ता भटक जाती है और गोल-गोल घूमने लगती है तो उसके पीछे चलने वाली चींटियाँ भी ऐसा ही करने लगती हैं । इस तरह वो गोल-गोल स्पाइरल की तरह बन जाते हैं और भूख-प्यास से थक कर मर जाते हैं।

फैंटिंग गोट्स

इसके अलावा हम यहाँ पर जिसकी बात हम आज करने जा रहे हैं वो हैं फैंटिंग गोट्स। बता दें की अक्सर ऐसा देखा गया है कि बकरियाँ चलते-चलते अचानक ही गिर कर बेहोश हो जाती हैं और इनके शरीर में  कुछ सेकंड के लिए अकड़न आ जाती है, चलते-चलते बेहोश हो जाना किसी और जानवर में नहीं देखा गया गया है। ऐसा इनके साथ ही क्यों होता है ऐसा अब तक पता नहीं चल पाया है पर कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि बकरियाँ तेज आवाज या अचानक से हुयी भगदड़ से घबरा जाती हैं जिसके कारण इन्हें ऐसा अटैक आता है। इस तरह से गिरना “मायोटोनिया कोंजेनिटा” नामक वंशानुगत विकार के कारण होता है।

स्नेक इटिंग इट्सेल्फ

तीसरा जानवर जिसकी हम आज बात करेंगे वो है साँपों का विचित्र व्यवहार, स्नेक इटिंग इट्सेल्फ। दरअसल समय समय पर ऐसा देखा गया है की साँप खुद को ही खाने लगते हैं, साँप ऐसा विचित्र व्यवहार क्यों करते हैं इसका पता तो अब तक नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि साँप कोल्ड ब्लड वाले जानवर होते हैं जिससे वे अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो पाते। अत: साँप अपने शरीर को गरम रखने के लिए सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करते हैं। अगर तापमान जरूरत से ज्यादा हो जाता है तो साँप भूख लाग्ने वाली बीमारी के भ्रम का शिकार हो जाते हैं और अपनी भूख मिटाने के लिए स्वयं के शरीर  को ही खाने लगते हैं। आइस अकरते वक्त साँप एक वृत बनाता है जिसे इतिहस में काल चक्र के रूप मे दिखाया गया है, प्राचीन सभ्यता में इस चिन्ह को “औरोबोरौस” कहा गया है।

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