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मुख़्तार अब्बास नकवी का कांग्रेस पर हमला, कहा कांग्रेस और करप्शन बने हैं एक दूसरे के लिए

नई दिल्ली: राजनीति गलियारे में सत्ताऊर विपक्ष हमेशा से ही एक दूसरे के ऊपर निशाना साधते रहते हैं। इस समय भी वही हो रहा है। इस समय सत्ता में भाजपा सरकार है वहीं विपक्ष में कांग्रेस है। कांग्रेस सरकार के दौरान एक से बढ़कर एक घोटाले हुए, जिनमें से कई का ख़ुलासा अब जाकर हो रहा है। इनमें से कुछ घोटाले कांग्रेस के दामाद यानी राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा ने किए हैं। हाल ही में रॉबर्ट वाड्रा के एक घोटाले का पर्दा फ़ास हुआ है। इसकी वजह से उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज की गयी है।

पहले भी हो चुकी है वाड्रा की वजह से कांग्रेस की किरकिरी:

बता दें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के ख़िलाफ़ ज़मीन घोटाले में एफ़आईआर दर्ज हुई है। इसके बाद से सियासी घमासान जारी है। जहाँ इस मामले में एक तरफ़ कांग्रेस अपनी सफ़ाई देने में लगी हुई है और रॉबर्ट वाड्रा का बचाव कर रही है, वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा इस मामले में कांग्रेस के ऊपर जमकर निशाना साध रही है।रॉबर्ट वाड्रा की वजह से कांग्रेस की पहले भी किरकिरी हो चुकी है।

मामले की निष्पक्ष ढंग से हो रही है जाँच:

केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला है। नकवी ने कहा कि कांग्रेस काफ़ी कन्फ़्यूज़ है। पहले कांग्रेस कहती थी कि रॉबर्ट वाड्रा का मामला व्यक्तिगत है। अब कांग्रेस का पूरा कुनबा पूरी फ़ौज वाड्रा के बचाव में उतर आयी है। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसे बख़्शा नहीं जाएगा, मामले की निष्पक्ष ढंग से जाँच हो रही है। वहीं कांग्रेस पर हमला करते हुए नकवी ने कहा कि कांग्रेस और करप्शन एक दूसरे के लिए ही बने हुए हैं।

कॉलोनी विकास के लिए प्राप्त कर लिया था लाइसेंस:

आपकी जानकारी के लिए बता दें रॉबर्ट वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर गुरूग्राम के सेक्टर 83 में 3.5 एकड़ ज़मीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टी से 2008 में 7.05 करोड़ रुपए में ख़रीदने का आरोप है। जानकारी के लिए बता दें जिस समय वाड्रा की कम्पनी ने ज़मीन ख़रीदा था उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा थे। उनके प्रभाव का वाड्रा की कम्पनी ने काफ़ी फ़ायदा उठाया था। साल 2007 में मुख्यमंत्री के पास आवास एवं शहरी नियोजन विभाग भी था। इसी वजह से स्काईलाइट ने बाद में हुड्डा के प्रभाव से कॉलोनी विकास के लिए व्यवसायिक लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया था।

आपको बता दें यह विवाद उस समय खड़ा हुआ जब वाड्रा ने इस ज़मीन को 58 करोड़ रुपए में डीएलएफ़ को बेच दिया। केवल यही नहीं नियमों का उलंघन करते हुए गुरूग्राम के वज़ीराबाद में डीएलएफ़ को 350 एकड़ ज़मीन बेचने का भी आरोप है। इससे रियल एस्टेट कम्पनी को 5000 करोड़ का लाभ पहुँचने की आशंका जताई जा रही है। इस मामले में अनियमितता देखते हुए नूह के सुरेन्द्र शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा कि 2008 में सेक्टर 83 में भूमि सौदे में धोखाधड़ी की गयी है। 2007 में वाड्रा की कम्पनी स्काईलाइट 1 लाख रुपए से शुरू हुई थी। इसके बाद 2008 में स्काईलाइट ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टी से 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी। बताया जा रहा है कि जमीन ख़रीदने के लिए 7.5 करोड़ रुपए के चेक दिए गए थे, जिसे कभी भुनाया ही नहीं गया। ज़मीन घोटाले में एफ़आईआर दर्ज होने के एक दिन पहले से ही शिकायतकर्ता सुरेन्द्र शर्मा ग़ायब हैं।

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