स्वास्थ्य

22 अगस्त को पुत्रदा एकादशी के दिन बन रहा है शुभ संयोग, एक उपाय से होंगे सभी कष्ट दूर

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, व्रत-त्योहार का विशेष महत्व होता है। पूरे साल में कोई ना कोई त्योहार या व्रत आता ही रहता है। जो लोग धार्मिक होते हैं इन व्रत-त्योहारों को पूरे विधि-विधान से करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन व्रत-त्योहारों को विधि-विधान से करने से ईश्वर की कृपा बरसती है। हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्मों में कोई ना कोई व्रत-त्योहार मनाए ही जाते हैं। सभी व्रत-त्योहारों का अपना एक महत्व होता है और उन्हें मनाने के पीछे एक वजह भी होती है।

हिंदू धर्म में एकादशी के महत्व के बारे में बताया गया है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आने वाली 24 एकादशियों का बहुत ज़्यादा महत्व है। हालाँकि सबका महत्व अलग-अलग है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण एकादशी होती है सावन के महीन में पड़ने वाली एकादशी। सावन के महीने में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। वहीं कुछ लोग यह व्रत संतान की उन्नति और उसके सुखी जीवन की कामना करते हुए भी करते हैं।

जीवन में आती है सुख-समृद्धि:

आपकी जानकारी के लिए बता दें पुत्रदा एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनो ही प्रसन्न होते हैं। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि भगवान विष्णु इस ऋष्टि के पालनकर्ता हैं वहीं माता लक्ष्मी धन की देवी हैं। इन दोनो के प्रसन्न होने पर व्यक्ति को जीवन में किसी प्रकार के कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता है। वह धनवान होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आज हम आपको इस व्रत को करने की सही विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

इस तरह से करें सावन एकादशी का व्रत:

जो लोग संतान की कामना करते हैं वो लोग सावन महीने की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन बिना कुछ खाए-पीए पूरे संयम और विधि-विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत करें। सुबह जल्दी जागकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा की समाप्ति के बाद किसी ब्राह्मण को अपनी क्षमता अनुसार दान देकर विदा करें। द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें।

करें पीपल के पेड़ की पूजा:

जिन लोगों की संतान पैदा होने के बाद मर जाती है या स्त्री का गर्भपात हो जाता है, वो इस एकादशी का व्रत करें। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में जागकर किसी पीपल के पेड़ के पास जाकर उसके जड़ में चाँदी के लोटे से कच्चे दूध में मिश्री डालकर चढ़ाएँ। पीपल के ताने पर मौलि लेकर सात बार लपेटें और संतान की अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करें।

करवाएँ 11 कन्याओं को भोजन:

अगर आपकी संतान पैदा होने के बाद से लगातार बीमार रह रही है तो पुत्रदा एकादशी का व्रत तो करें ही, साथ में 11 कन्याओं को भोजन भी करवाएँ। इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें वस्त्र देकर विदा करें।

संतान के अच्छे भविष्य के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव और उनके परिवार की भी पूजा करें। विष्णु मंदिर में घी का दान करना शुभ माना जाता है और शिव मंदिर में मावे का दान शुभ होता है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक भी करें।

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