अध्यात्म

काँवर यात्रा के दौरान हर एक कदम पर मिलता है अश्मेघ यज्ञ के बराबर फल, जानिये क्यों?

सावन का पवित्र महिना चल रहा है, इस महीने में शिवभक्त भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। इन्ही में से एक है काँवर यात्रा। जी हाँ आपके सावन के महीने में जगह-जगह पर कांवरियों को देखा होगा। वह काँवर यात्रा करके भगवान शंकर को जल चढाने जाते हैं। यात्रा के दौरान शिवभक्त बांस से बने काँवर को ढंग से सजाकर ले जाते हैं। काँवर के दोनों तरफ प्लास्टिक या धातु का लोटा लगा होता है।

भर जाता है मन प्रसन्नता से:

लोटे में जल भरकर यात्रा की जाती है और उस जल को शिव मंदिर में अर्पित किया जाता है। इसी यात्रा को काँवर यात्रा कही जाती है। लोग अपने काँवर को घुँघरू, घंटियों, फूल, माला और अन्य चीजों से सजाते हैं। कांवरियों की यात्रा देखकर मन प्रसन्नता से भर जाता है। धूप-दीप की खुशबू मुँह में बोल बम का नारा, बाबा एक सहारा का जयकारा लगाते हुए सभी कांवरिये अपने आराध्यदेव भगवान शंकर से मिलने निकल पड़ते हैं।

पूरी हो जाती है मन की हर इच्छा:

सावन महीने में काँवर यात्रा का बहुत बड़ा महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि काँवर यात्रा करने वाले लोग अक्सर 3,5 या 7 बार काँवर यात्रा में जाते हैं। जो भी व्यक्ति काँवर यात्रा में जाता है उसकी सभी इच्छाएं भगवान शंकर पूरी कर देते हैं। काँवर यात्रा के दौरान जो इन यात्रियों की सेवा का कम करते हैं, उन्हें भी इसका फल मिलता है। काँवर यात्रा के दौरान जगह-जगह पर कांवरियों की सेवा के लिए टेंट-तम्बू लगे होते हैं।

बोल बम का नारा लगाना होता है बहुत फलदायक:

वैदिक शोध संस्थान एवं कर्मकांड प्रशिक्षण केंद्र के पूर्व आचार्य आत्मा राम गौतम ने बताया कि सावन महीने में शिव आराधना और गंगाजल के अभिषेक का शिवपुराण में काफी महत्व बताया गया है। उनके अनुसार कंधे पर काँवर रखकर बोल बम का नारा लगाते हुए चलना बहुत ही पुण्य दायक होता है। उनका कहना है कि काँवर यात्रा के दौरान हर एक कदम चलने से अश्मेघ यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है।

पूरा देश डूब जाता है शिव के रंग में:

हर साल लाखों की संख्या में देश के कोने-कोने से कांवरिये भगवान शंकर का जलाभिषेक करने के लिए अनेक शिव धामों में जाते हैं। उनके अनुसार वैसे हो भगवान शंकर के भक्त साल में हर समय जलाभिषेक करते हैं, लेकिन सावन में काँवर यात्रा करके जलाभिषेक करने का अपना अलग ही महत्व होता है। सावन का महिना भगवान शिव का सबसे प्रिय महिना है इसलिए इस महीने में पूरा देश ही शिव के रंग में डूबा हुआ दिखाई देता है। महिलाएँ इसी महीने में सावन सोमवार का व्रत भी रखती हैं।

Back to top button