अध्यात्म

युद्ध का बूढ़ा हाथी दलदल में जा फंसा, राजा भी हुए बाहर निकालने में फेल, मंत्री की ये तरकीब आई काम

जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। मुसीबत का नाम ही जिंदगी है। परेशानी आने पर कुछ लोग हार मानकर बैठ जाते हैं। उनमें मनोबल की कमी हो जाती है। वहीं आसपास के लोग भी उन्हें डीमोटीवेट करने में पिछने नहीं रहते हैं। लेकिन यदि मुश्किलों का डटकर सामना किया जाए और हार न मानी जाए तो हर मुश्किल स्थिति से निकला जा सकता है।

दलदल में फंस गया राजा का हाथी

एक समय की बात है। एक नगरी में एक विद्वान राजा रहता था। राजा के पास किसी चीज की कोई कमी नहीं था। उसके पास कई राज्य, विशाल सेना और सैकड़ों पालतू जानवर थे। राजा कई युद्ध जीत चुका था। इन युद्ध में उसका सबसे अधिक साथ उसके फेवरेट हाथी ने दिया था।

राजा अपने इस हाथी से बहुत प्रेम करता था। हालांकि समय के पहिएं के साथ हाथी की उम्र भी ढलती गई। वह बहुत बूढ़ा हो गया। हाथी में अब पहले जैसी शक्ति नहीं रही। लेकिन इसके बावजूद राजा का हाथी को लेकर प्रेम खत्म नहीं हुआ। उसने हाथी की देखरेख के लिए सेना की एक टुकड़ी लगा रखी थी।

एक बार सैनिक हाथी को टहलाने तालाब में ले गए। यहां हाथी दलदल में फंस गया। हाथी और बाकी लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन वह उसे बाहर नहीं निकाल सके। फिर राजा को बुलाया गया। उसने भी दिमाग दौड़ाया लेकिन वह भी हाथी को बाहर निकालने में असफल रहा।

इस तरकीब से बाहर आया हाथी

राजा के पास एक बुद्धिमान मंत्री भी था। उसने राजा से कहा कि “अपने सैनिकों से कहिए हाथी के आसपास युद्ध में उत्साह बढ़ाने वाले ढोल ताशे बजाए।” राजा और सैनिकों को मंत्री की ये सलाह समझ नहीं आई। हालंकी राजा को अपने मंत्री पर पूर्ण विश्वास था। इसलिए उसने उन्हें ऐसा ही करने को कहा।

अब सैनिक पूरे जोश से हाथी के पास युद्ध के नगाड़े बजाने लगे। यह सुन हाथी जोश में आ गया। उसने बिना किसी की मदद से खुद ही कीचड़ से निकलने का प्रयास किया। देखते ही देखते कुछ ही देर में वह कीचड़ से अकेला बाहर आ गया।

यह देख राजा दंग रह गए। उन्होंने मंत्री से इसका राज पूछा। इस पर मंत्री वोला “राजन ये युद्ध का हाथी है। शक्ति के साथ साथ इसका मनोबल भी कमजोर पड़ गया था। युद्ध के नगाड़ों की आवाज ने इसका मनोबल बढ़ा दिया। इसलिए ये पानी से बाहर आने की हिम्मत कर पाया।”

कहानी की सीख

इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जब जीवन में संकट आए तो हार मानकर उदास बैठना सही नहीं है। आपको अपने मनोबल को बनाए रखना चाहिए। पूरे जोश से उस मुसीबत से बाहर निकलने की ठानना चाहिए। इससे आपको सफलता जरूर मिलेगी।

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