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मंगल पर महज 3 फिट नीचे मिला पानी का विशाल भंडार, क्या सच होगा मंगल पर इंसानी बस्ती का सपना?

मंगल ग्रह की तुलना अक्सर पृथ्वी से की जाती है। कई लोग यहां इंसानों की बस्ती बसाने पर विचार कर रहे हैं। अरबपति एलन मस्क भी इनमें से एक हैं। भविष्य में शायद इंसान यहां पर रहने भी लग जाए। इंसानों के मंगल पर रहने के लिए पानी का होना भी बेहद जरूरी है।

नासा के वैज्ञानिक कई सालों से मंगल पर पानी की खोज कर रहे हैं। उन्हें पानी के कुछ सबूत भी मिले थे, लेकिन पानी पर्याप्त मात्रा में या आसानी से उपलब्ध नहीं था। इस बीच मंगल पर पानी को लेकर एक गुड न्यूज आई है।

मंगल पर सिर्फ 3 फीट नीचे मिला पानी

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वैज्ञानिकों ने बड़ी मात्रा में मंगल पर पानी खोजा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मंगल ग्रह के ग्रैंड कैनयान में बड़ी मात्रा में पानी मिला है।

दिलचस्प बात ये है कि पानी का यह विशाल भंडार वल्लेस मरीनर्स की सतह के सिर्फ तीन फीच नीचे हैं। यहां वल्लेस मरीनर्स नाम की एक बहुत बड़ी घाटी है जो कि 3862 किमी इलाके में फैली है।

उम्मीद से कई ज्यादा निकला पानी

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वल्लेस मरीनर्स कैंडोर चाओस घाटी का पार्ट है जो कि आकार में नीदरलैंड के बराबर है। वैज्ञानिकों को आशा है कि इस घाटी में सबसे अधिक पानी मिल सकता है।  इस शोध के सहायक लेखक अलेक्सी मलाखोव बताते हैं कि हमे रिसर्च से जानकारी लगी है कि वल्लेस मरीनर्स का मध्यवर्ती हिस्सा पानी से भरा है।

यहां हमे उम्मीद से कई अधिक पानी उपलब्ध है। धरती पर भी कुछ इलाके बर्फ से ढके इसी तरह से रहे हैं। कम तापमान होने की वजह से ऐसी जगहों पर ऊपर सूखी हुई जमीन और नीचे बर्फ जमी रहती है।

2006 में मिले थे पानी के पहले सबूत

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लाल ग्रह मंगल पर पहली बार पानी होने के सबूत साल 2006 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुछ तस्वीरें जारी कर दिए थे। इन तस्वीरों से पता चला कि साल 1999 और 2001 के बीच लिक्विड वॉटर मंगल ग्रह पर था। इसके बाद 31 जुलाई 2008 को नासा के फोनिक्स मार्स लैंडर ने इस बात की पुष्टि की कि मंग्रल ग्रह पर बर्फ मौजूद है। इसके अंदर मौजूद पानी में भी वही तत्व हैं जो धरती पर मौजूद पानी में मिलते हैं।

सूख चुकी है कई नदियां

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मंगल ग्रह पर नासा को कई ऐसी घाटियां मिली जहां नदी थी लेकिन वह सुख चुकी है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन जगहों पर कभी पानी हुआ करता था। नासा को अभी तक मंगल पर जो पानी मिला भी था वह बहुत गहराई में बर्फ के रूप में था। हालांकि इस बार यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मात्र तीन फीट नीचे बर्फ के रूप में मौजूद पानी को खोजा है। इससे मंगल पर इंसानी जीवन की कल्पना को और बल मिलता है।

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