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JNU में बाबरी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग, यूनिवर्सिटी ने कहा मत बिगाड़े माहौल

जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अक़्सर किसी न किसी विषय को लेकर विवादों में रहता है। जी हां एक तरफ़ तो इस संस्थान को शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में से एक होने का दर्ज मिलता है। वहीं दूसरी तरफ़ यहां विवाद भी कम नहीं होते। बता दें कि अब इस यूनिवर्सिटी में एक ऐसे विषय पर बवाल मच गया है। जो डॉक्यूमेंट्री से जुड़ी हुई है।

Ram Ke Nam Documentry

बता दें कि शनिवार को बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़ी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग की गई और यह स्क्रीनिंग रजिस्ट्रार की चेतावनी के बावजूद छात्रों ने की। ऐसे में अब ऐसी संभावना जताई जा रही कि विश्वविद्यालय का माहौल बिगड़ सकता है। वहीं बता दें यह फ़िल्म आनंद पटवर्धन के नेतृत्व में बनी है।

गौरतलब हो कि जेएनयू (JNU) में 4 दिसंबर को रात 9.30 बजे एक सर्कुलर जारी किया गया और ‘राम के नाम’ नामक इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है। वहीं ऐसे में जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि छात्रों के समूह द्वारा छात्र संघ (जेएनयूएसयू) से अनुमति नहीं मांगी गई और स्क्रीनिंग के लिए पैम्फलेट जारी कर दिया गया।


इतना ही नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कहा गया कि इस फिल्म की स्क्रीनिंग से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है और अगर इसे कैंपस में दिखाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि जेएनयू के रजिस्ट्रार रविकेश की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया कि, “जानकारी में आया है कि JNUSU की तरफ से ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए पोस्टर जारी किया गया है। इस इवेंट की पहले से कोई अनुमति नहीं ली गई है। ऐसी गतिविधियों से विश्वविद्यालय की शांति भंग हो सकती है।”

Ram Ke Nam Documentry

इतना ही नहीं टिस में आगे कहा गया था कि, “छात्रों और अन्य लोगों को सलाह दी जाती है कि इस कार्यक्रम पर तत्काल रोक लगाई जाए। ऐसा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जो पोस्टर लगाए गए हैं वे आधिकारिक नहीं हैं और इससे किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।” वहीं इस विषय पर जेएनयूएसयू (JNUSU) की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि साल 2019 में यही फिल्म बिना किसी रोकटोक के साथ प्रदर्शित की गई थी।

Ram Ke Nam Documentry

वहीं इस पूरे मामले पर दिल्ली बीजेपी के नेता हरीश खुराना ने कहा कि आज एक बार फिर जेएनयू (JNU) के वामपंथी संगठनों द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई। वहां बिना अनुमति के एक फिल्म को दिखाने की बात कही गई। इतना ही नहीं इसके अलावा छात्रों के एक ग्रुप ने बाबरी मस्जिद का पोस्टर लगाया, ऐसे में ये सब गतिविधियां सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश है। वहीं हरीश खुराना ने मांग की है कि जो लोग भी इसके पीछे हैं उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए।

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