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भगवान शंकर की इस प्रतिमा को गिनीज बुक में दर्ज किया गया दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा के रूप में!

भगवान शंकर की महिमा अपरमपार है। भगवान शंकर के चाहने वाले भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में हैं। भगवान शंकर अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। भगवान शंकर का त्रिदेवों में महत्वपूर्ण स्थान है। जब भी किसी भक्त को कोई कष्ट होता है तो वह भगवान शंकर की शरण में जाता है और भगवान उसके हर कष्ट को दूर करके, उसके जीवन में खुशहाली लाते हैं।

देश के कोने-कोने में हैं भगवान शंकर के मंदिर:

जो भक्त सच्चे मन से भगवान को याद करता है, उनके जीवन से कष्टों का नामों-निशान मिट जाता है। भगवान शंकर के मंदिर भारत के कोने-कोने में बने हुए हैं, जहां सुबह शाम भगवान की आरती होती है और उनकी आराधना की जाती है। भारत के अलावा विश्व के कई देशों में भगवन शंकर के मंदिर और मूर्तियां हैं।

गिनीज बुक ने अपनी वेबसाइट पर की घोषणा:

ईशा योग फाउंडेशन के प्रांगण में बनी हुई आदियोग भगवान शिव की 112 फुट की आवक्ष प्रतिमा को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने दुनिया की सबसे बड़ी आवक्ष प्रतिमा के रूप में दर्ज किया है। गिनीज बुक ने यह घोषणा अपनी वेबसाइट पर की है। इस प्रतिमा का अनावरण देश के प्रधानमंत्री मोदी ने 24 फ़रवरी को कोयम्बटूर के बाहरी इलाके में स्थित ईशा योग के फाउंडेशन में किया था।

11 मार्च को किया गया था प्रतिमा का सत्यापन:

आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व की सबसे बड़ी इस प्रतिमा को देखने के लिए देश-विदेश से हर रोज हजारो लोग आते हैं। 112.4 फुट ऊंची और 24.99 मीटर चौड़ी और 147 फुट लम्बी इस प्रतिमा का सत्यापन 11 मार्च 2017 को किया गया था। ऐसा कहा गया कि आवक्ष प्रतिमा योग का स्त्रोत है। यह दुनिया के प्रथम योगी या आदियोगी, योग के जनक के स्वपरिवर्तन के 112 तरीकों का प्रतिक है।

भारत के नाम जुड़ गया एक और विश्व रिकॉर्ड:

यही वजह है कि इस प्रतिमा को 112 फुट का बनाया गया है। ईशा फाउंडेशन इस तरह की 3 और मूर्तियां देश के अन्य हिस्सों में भी स्थापित करना चाहती है। गिनीज बुक में इस मूर्ति को स्थान दिए जाने के बाद भारत के नाम एक और वोर्ल रिकॉर्ड जुड़ गया है।

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