राजनीति

तीन तलाक पर आज से होगी सुनवाई, पांच धर्मों के पांच जज करेंगे फैसला! – जानें अहम बातें

नई दिल्ली – 11 मई यानि आज से सुप्रीम कोर्ट के पांच जज तीन तलाक से जुड़ी याचिका पर सुनवाई शुरू करेंगे। इस सुनवाई की खास बात ये है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सुनवाई करने वाले पांच जज अलग-अलग धर्म के हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गर्मी की छुट्टियों में भी इस मामले की सुनवाई करने का फैसला किया था।  आज यानि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टी का पहला दिन है। तीन तलाक पर सुनवाई करने वाली जजों की पीठ में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कूरियन जोसेफ (ईसाई), आरएफ नारिमन (पारसी), यूयू ललित (हिंदू) और अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शमिल होंगे। Hearing on Triple talaq.

कैसे कोर्ट पहुंचा तीन तलाक का मामला –

Muslim woman not satisfied

उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करते हुए तीन तलाक और निकाह, हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। शायरा बानो की ओर से डाली गई अर्जी में मुस्लिमों की बहुविवाह प्रथा को भी चुनौती दी गई थी। उन्होंने डिसलूशन ऑफ मुस्लिम मैरिजेज ऐक्ट को यह कहते हुए चुनौती दी कि यह मुस्लिम महिलाओं को दो शादियां या बहु-विवाह से बचाने में विफल रहा। उन्होंने अपनी याचिका में महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव, तलाक और विवाहित होने के बावजूद मुस्लिम पति द्वारा दूसरा विवाह करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से विचार करने को कहा था।

मोदी सरकार सामने रख चुकी है अपना पक्ष–

PM Modi mic stops incident

विधानसभा चुनावों के दौरान तीन तलाक के मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर बीजेपी ने जहां मुस्लिम महिलाओं को विरोध करने का साहस दिया वहीं पार्टी की तरफ से यह भी स्पष्ट कर दिया की इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे पर मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख चुकी है। केन्द्र सरकार तीन तलाक को मानव अधिकारों के विरुद्ध मानती है। हाल ही में पीएम मोदी ने मुस्लिम धार्मिक नेताओं से मुलाकात के दौरान अपील की थी कि वो तीन तलाक के मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा न बनने दें और इसमें सुधार के लिए आगे आए।

सुप्रीम कोर्ट को इन सवालों का हल ढूंढना होगा –

Caste creed or religion vote

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पूछे गए चार सवालों 1) क्या धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत एक बार में 3 तलाक कहना, हलाला और बहुविवाह की इजाजत दी जा सकती है? 2) समानता का अधिकार, गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में से किसे प्राथमिकता दी जाए? 3) क्या पर्सनल लॉ को संविधान के अनुच्छेद-13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं? 4) क्या तलाक-ए-बिद्दत, निकाह हलाला और बहुविवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिन पर भारत ने भी दस्तखत किए हैं? के हल ढूंढने होंगे।

Back to top button