राजनीति

बेरोजगारी दूर करने का ये है ऐक्शन प्लान, 1 करोड़ लोगों रोजगार देने की कवायद में जुटी सरकार!

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने चुनावी वादे पूरे करने के लिए कमर कस ली है, पीएम मोदी और उनकी सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि जनता के लिए अच्छे दिन लाये जाएं. अच्छे दिन तब आयेंगे जब देश का युवा स्वाभिमान और स्वावलंबन के साथ जीवन व्यतीत करेगा, इसके लिए केंद्र सरकार एक करोड़ से भी ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने जा रही है, आपको बता दें कि पीएम मोदी की सरकार को 3 साल पूरे होने को हैं, ऐसे में सरकार अपने सभी चुनावी वादों को पूरा करने में जुट गई है. पीएम मोदी ने निर्देशित किया है कि कैबिनेट को भेजे जाने वाले सभी प्रस्तावों में देखा जाए कि प्रस्ताव पर अमल किये जाने कि स्थिति में रोजगार के कितने अवसर बन रहे हैं.

बेरोजगारी दूर करने का ये है ऐक्शन प्लान :

गौरतलब है कि तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में बीते तीन सालों में जॉब क्रिएशन की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है, एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012 से साल 2016 के बीच भारत में रोजगार के 1.46 करोड़ मौके उपलब्ध कराये गए थे, देखा जाये तो औसत रूप से इस अवधी में हर साल लगभग 36.5 लाख युवाओं को रोजगार मिला था. रिपोर्ट में बताया गया है कि कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में 8.41% का इजाफा हुआ है. मगर रिपोर्ट्स से . इस बात का भी पता चलता है कि वास्तविक लेबर फोर्स मात्र 2.01 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है, आपको बता दें कि कामकाजी उम्र वाली आबादी का महज 24% हिस्सा ही इसमें जुड़ सका बाकी का 76% हिस्सा इससे बाहर रहा.

इससे पहले एक बार पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि हमारा देश युवाओं का देश है, हमारी आबादी में 65% हिस्सा ऐसे युवाओं का है जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है. ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में सबसे ज्यादा चुनौतियां हैं, और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का मौका भी भारत के पास किसी अन्य देश की तुलना में अधिक है.

आपको बता दें कि नीति आयोग पीएम मोदी के चुनावी वादे को पूरा करने की कवायद में अच्छे से जुट गया है, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक व्यावसायिक अखबार से बातचीत के दौरान बताया कि कैबिनेट ने तय किया है कि जिस भी प्रस्ताव के साथ कुछ खर्च होना है उसके साथ जॉब क्रिएशन होनी चाहिए. प्रस्तावों के साथ मंत्रालय यह भी बताएं कि कितनी नई नौकरियां या रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा सकेंगे.

ज्ञात हो कि एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 15 लाख से अधिक लोग नौकरियों के बाजार में किस्मत और अपनी मेहनत आजमाने आते हैं. वहीं औद्योगिकीकरण और तकनीकि विकास के चलते मानव श्रम से निर्भरता खत्म करने पर जोर दिया जा रहा है जिसका असर यह है कि ऑटोमेशन के विकल्प बढ़ रहे हैं और नौकरियों की संख्या कम होती जा रही है.

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