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कांग्रेस ने बनाया मुलायम को निशाना, कहा मुलायम सिंह की कथनी और करनी में है अंतर!

एक समय था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह और सपा की तूती बोलती थी। बसपा के भारी बहुमत से हारने और सपा के सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव को चुना गया। प्रदेश के युवाओं और लोगों को यह उम्मीद थी कि एक युवा नेता प्रदेश की कमान संभालेगा तो कुछ हटकर करने का प्रयास करेंगे। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।

अकेले रहकर मोदी जैसी सुनामी का सामना कभी नहीं किया जा सकता :

Mulayam will eject out Akhilesh from the party

अखिलेश ने अपने 5 साल की सत्ता के दौरान पहले की ही तरह कुछ नहीं किया। 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद मुलायम सिंह और अखिलेश को यह बात समझ में आ गई कि अब अकेले रहकर मोदी जैसी सुनामी का सामना कभी नहीं किया जा सकता है। इस विधानसभा चुनाव में रणनीति के तहत दोनों पार्टियां एक साथ मिलकर मोदी को हराना चाहती थीं।

गठबंधन के बाद भी देखने पड़ा बुरी हार का मुंह:

Akhilesh and rahul alliance

हालांकि इसमें भी उन्हें निराशा ही मिली। सपा और कांग्रेस का गठबंधन किसी काम नहीं आया। इस बार भी सपा गठबंधन, बसपा और कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद तिलमिलाई सपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया। हार की वजह एक दूसरे को बताते हुए अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास शुरू हो गया।

कुछ दिन पहले ही सपा की बदहाली के लिए मुलायम सिंह ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस भी कहां चुप रहने वाली थी, उसने भी मुलायम पर निशाना साधते हुए कह दिया कि मुलायम की कथनी और करनी मेल नहीं खाती है और मुलायम एक अवसरवादी व्यक्ति हैं। यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि सपा का पारिवारिक कलह सार्वजनिक नहीं होना चाहिए था।

सपा खुद जिम्मेदार है अपनी हार के लिए:

दोनों के बीच हुई कलह का सद्भावनापूर्ण ढंग से निपटारा करना चाहिए था। उन्होंने मुलायम के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बात बिल्कुल निराधार है कि सपा की बदहाली के पीछे कांग्रेस का हाथ है। सपा अपनी हार के लिए खुद ही जिम्मेदार है। अशोक सिंह ने कहा कि मुलायम का यह कहना बिल्कुल गलत है। बिहार में समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों के गठबंधन को मुलायम सिंह यादव ने तोड़ा था। उनकी कथनी और करनी में काफी अंतर है।

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