अध्यात्म

संतों को छोटी सी गलती करने पर दी जाती हैं कड़ी सजा, जानें अखाड़ों से जुड़े ये सख्त नियम

कुंभ मेले में कुल 13 अखाड़े हैं और इन अखाड़ों से कई सारे साधु व संन्यासियां जुड़े हुए हैं। ये अखाड़े अपने विचारों के आधार पर बांट गए हैं और कुंभ मेले में आकर सबसे पहले यही लोग शाही स्नान करते हैं। इन सभी अखाड़ों द्वारा कई सारे नियम बनाए गए हैं और जो भी साधु व संन्यासियां ने अखाड़ों से जुड़े हुए हैं, उन्हें इन नियमों का पालन करना होता है। अगर गलती से भी किसी से कोई नियम टूट जाता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है।

इन अखाड़ों के कानून इतने सख्त हैं कि एक छोटी सी गलती पर संन्यासी को गंगा में पांच से लेकर 108 डुबकियां लगाने का दंड सुनाया जाता है। संन्यासी पर अगर कोई बड़ा आरोप लगे या वो कोई बड़ा नियम तोड़ दें। तो अखाड़ों द्वारा अदालत बैठाई जाती है और उसको सजा सुनाई जाती है। अखाड़ों द्वारा सजा दिए जाने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमंहत हरिगिरि ने बताया कि अखाड़ों में छोटे दोष पर दंड का प्रावधान है। गंगा में पांच से लेकर 108 डुबकी लगाने की सजा सुनाई जाती है। दंड को पूरा कराने के साथ दोषी संन्यासी के साथ में कोतवाल भी भेजा जाता है।

इसके अलावा डुबकी लगाने के बाद संन्यासी भीगे कपड़ों में ही देवस्थान पर वापस आकर क्षमा याचना भी करता है। जिसके बाद पुजारी संन्यासी का प्रसाद देकर उसे माफ किया जाता है।

श्रीमहंत हरिगिरि ने कानूनों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गंभीर मामलों में अखाड़े की अदालत लगती है। जो कि सीधा निष्कासन का निर्णय लेती है। दोषी संन्यासी के अखाड़े से निष्कासन के बाद इनपर भारतीय दंड संहिता की धाराएं लागू होती है।

इन मामलों पर लगती है अखाड़े की अदालत

1. दो संन्यासियों की लड़ाई और आपसी संघर्ष के मामले में।
2. संन्यासी के विवाह, हत्या और अन्य गंभीर आरोप लगना पर।
3. चोरी करते हुए पकड़े जाने पर।
4. देवस्थान को अपवित्र करने पर।
5. अभद्र व्यवहार करना।
6. अखाड़े के मंच पर किसी अपात्र के चढ़ना।

आपको बता दें कि शुरुआत में केवल चार अखाड़े थे। बाद में विचारों में भिन्नता होने पर अखाड़ों का बंटवारा हो गया। परंपरा के अनुसार शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं। इन अखाड़ों से जुड़ना आसान नहीं है। वहीं जो साधु इन अखाड़ों से जुड़ते हैं। उन्हें सबसे पहले अखाड़े से जुड़ी शपथ ग्रहण करनी पड़ती है और जीवन भर इन नियम व कानून का पालन करना होता है। प्रत्येक अखाड़े के शीर्ष पर महंत आसीन होते हैं। जिसके ऊपर अखाड़े का सारा जिम्मा होता है।

 13 अखाड़ों के नाम

निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा, महानिर्वाण अखाड़ा, अटल अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा,उदासीन नया अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा है।

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